
रामकथा में रामभद्राचार्य
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हाथरस के निकटवर्ती गांव लाड़पुर में रामकथा के अवसर पर स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि उन्होंने तो प्रतिज्ञा की है कि वह तब तक किसी कृष्ण मंदिर में नहीं जाएंगे, जब तक कि श्रीकृष्ण जन्म भूमि उनको नहीं मिल जाती। हमारे साथ अन्याय हुआ। हमारा कृष्ण मंदिर केशव देव मंदिर के नाम से जाना जाता था। भगवान श्री कृष्ण का विग्रह 400 किलो सोने से बनवाया था। गर्भगृह पर मस्जिद बनाई है। कृष्ण मंदिर गर्भगृह पर नहीं है। हम चंदा मांगकर मंदिर बनाएंगे।
उन्होंने कहा कि वह 1384 वीं श्रीरामकथा करा रहे हैं। वह बहुत प्रसन्न हैं, क्योंकि ऐसे समय कथा कहने आए हैं। जब हमने अयोध्या में विश्व का सबसे सुंदर राम मंदिर बनाया है। उनकी गवाही से कोर्ट ने मेरे अनुकूल निर्णय लिया। रामलला आ गए, मंदिर हमने बना लिया है। अब हम प्रारंभ कर रहे हैं काशी व मथुरा का। हमें वह काशी विश्वनाथ चाहिए और मथुरा में हमें श्री कृष्ण जन्मभूमि चाहिए।
हाथरस तो रामायण जी का गढ़ रहा है। पंडित गया प्रसाद जी यही के थे और यहीं से वैरागी होकर गोवर्धन चले गए। यहां कथा कहने में बहुत आनंद आता है। ब्रज को क्रांतिमय बनाना होगा। बिना क्रांति के श्रीकृष्ण जन्मभूमि नहीं मिलेगी। भगवान श्रीराम ने अपने अपमान का बदला ले लिया। अब भगवान कृष्ण को भी अपने अपमान का बदला लेना चाहिए। अब मुरली से काम नहीं चलेगा। अब तो सुदर्शन चक्र उठाना पड़ेगा।
