संवाद न्यूज एजेंसी, लखनऊ

Updated Thu, 11 Jul 2024 04:24 AM IST

Rapti's water level decreased but problems increased

प्राथमिक विद्यालय राजगढ़ गुलहरिया के सामने सड़क पर बह रहा पानी।

श्रावस्ती। जमुनहा के राप्ती बैराज पर नदी का जलस्तर 127.35 मीटर है जो खतरे के निशान से 35 सेंटीमीटर कम है। घटते जलस्तर के साथ ही गांवों में भरा बाढ़ का पानी अब निकल रहा है। इसके साथ ही राप्ती की तबाही के निशान भी दिखने लगे हैं। कहीं क्षतिग्रस्त मार्ग तो कहीं खेत व मार्ग पर भरा पानी लोगों की परेशानी बढ़ा रहा है। कछार में बसे गांवों के लोगों को अब कटान का डर सताने लगा है।

जिले में राप्ती नदी की बाढ़ की विभीषिका अब कम हो रही है। इसके बावजूद कछार में बसे कई गांवों के आसपास अब भी पानी ठहरा है। बाढ़ के तेज बहाव के कारण जमुनहा की तरह ही इकौना क्षेत्र में भी कई संपर्क मार्ग क्षतिग्रस्त हो गए। ऐसे में लोगों को आवागमन में दुश्वारियां झेलनी पड़ रही है। गांवों व घरों में भरा बाढ़ का पानी भले ही कम हो गया हो लेकिन खेत खलिहान व मार्गों पर अभी भी जलभराव है। ऐसे में लोग घरों से बाहर जाने से कतरा रहे हैं। वहीं राजगढ़ गुलहरिया मार्ग क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बौद्ध तपोस्थली के डेन महामंकोल में लगे गेट के कारण बाढ़ का पानी नहीं निकल पा रहा था। जिसे तहसील प्रशासन की ओर से हटा दिया गया है।

इसके बाद पानी तेज बहाव के साथ निकलने लगा है। कछारवासी अब बाढ़ के कारण घरों में जमा सिल्ट निकालने में जुट गए हैं। इसके साथ ही कछार वासियों को अब कटान का खतरा सताने लगा है। लोगों का मानना है कि राप्ती अपने घटते व बढ़ते जलस्तर के साथ कटान करती है। ऐसे में कछारवासियों की धड़कनें तेज हो गई हैं।



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