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अब भले ही आरएसएस भारतीय जनता पार्टी का खुलकर समर्थन करता हो, लेकिन एक समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने चुनावों में स्वयंसेवकों को मनचाहे दलों को समर्थन करने की छूट दी थी। तत्कालीन सर कार्यवाह प्रो राजेंद्र सिंह ( रज्जू भैय्या ) ने कहा था कि आरएसएस का राजनीतिक स्वरूप नहीं है। मध्यावधि चुनाव 1980 में संघ की कोई भूमिका नहीं होगी।
अमर उजाला में 25 अगस्त, 1979 को प्रकाशित समाचार के अनुसार, मोतीहारी में रज्जू भैया ने कहा था कि आरएसएस का राजनीतिक स्वरूप नहीं है। 1980 के मध्यावधि लोकसभा चुनाव में सहभागिता का सवाल ही नहीं उठता। कहा कि स्वयंसेवक चुनाव लड़ने और मनचाहे दलों को समर्थन करने के लिए स्वतंत्र हैं।
बैठक को संबोधित करते हुए प्रश्नों के जवाब में रज्जू भैय्या ने कहा कि वह वक्त की जरूरत थी, जब 1977 के चुनाव में संघ को उलझना पड़ा, लेकिन अब ऐसी स्थिति देश के समक्ष नहीं है। उन्होंने कहा कि संघ विशुद्ध रूप से सांस्कृतिक संगठन है। इसका उद्देश्य समाज की सेवा और लोगों का नैतिक स्तर ऊंचा उठाना है।
उन्होंने कहा था कि संघ की दृष्टि में हिंदू का मतलब हिंदुस्तान में रहने वाले सभी लोग हैं। हमने कभी हिंदू धर्म की बात नहीं की, बल्कि हमारी हिंदू राष्ट्र की कल्पना अवश्य है जिसका अर्थ हिंदुओं का देश है। उन्होंने स्वयंसेवकों से सेवा भावना तथा समाज में फैलाई गईं भ्रांतियों को दूर करने की अपील की।