
Rashtriya Swayamsevak Sangh
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केरल में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसस) की की समन्वय बैठक में जातिगत जनगणना को लेकर प्रदेश में नई बहस छिड़ गई है। संघ के बयान को लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिले हार के ‘घाव’ को भरने के लिए ‘मरहम’ के तौर पर देखा जा रहा है।
इस मुद्दे पर संघ ने जिस तरह से पहली बार खुलकर तरफदारी की है, उससे स्पष्ट है कि अब आगे संघ और भाजपा कोई जोखिम नहीं लेना चाहतें हैं। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में पिछड़े वोट बैंक के खिसकने से सकते में आई भाजपा भी संघ के इस बयान के बाद अब इस मुद्दे पर ‘फ्रंटफुट’ पर आकर खेलेगी।
अब तक इस मुद्दे से कन्नी काटने वाली भाजपा अब ‘डैमेज कंट्रोल’ में जुट गई है। दरअसल भाजपा के हर सियासी एजेंडे को पूरा कराने में संघ परिवार की बड़ी भूमिका होती है, लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में अति आत्म विश्वास से लबरेज भाजपा संगठन ने संघ परिवार को उतना तरजीह नहीं दिया। लिहाजा इसका खामियाजा भी भाजपा को भुगतना पड़ा है।
2024 के चुनाव में जिस तरीके से भाजपा को नुकसान हुआ है, उससे भाजपा पर दबाव बढ़ा है। चुनाव नतीजों ने भाजपा को ही नहीं, संघ को भी झकझोर कर रख दिया था। संघ और भाजपा की चिंता यह है कि लोकसभा चुनाव में दलितों-पिछड़ों ने जिस तरह से वोट की ताकत दिखाई, वो भाजपा के लिए बड़ा खतरा है।