लखनऊ। बच्चों की सुरक्षा पुख्ता करने को लेकर सख्ती के बाद स्कूल प्रबंधन के लोग शनिवार को आरटीओ कार्यालय पहुंचे और प्राइवेट वैनों का ब्योरा मांगा। इन्हें प्राइवेट स्कूली वैनों का डाटा बैंक तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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संयुक्त पुलिस आयुक्त के कार्यालय में शुक्रवार को हुई बैठक में स्कूलों के प्रबंधन को बच्चों को लाने-ले जाने वाली प्राइवेट वैनों का डाटा बैंक बनाने, उनकी फिटनेस व अन्य सुरक्षा के बिंदुओं को जांचने के निर्देश दिए गए। प्राइवेट स्कूली वैनों से हादसा होने पर स्कूल पल्ला झाड़ लेते हैं। ऐसे में उनकी जिम्मेदारी तय करने के लिए यह निर्णय लिया गया।

स्कूलों के लिए प्राइवेट वैनों का डाटा बैंक बनाना आसान नहीं होगा। हालांकि, अभिभावकों को बच्चों की सुरक्षा का हवाला देकर ऐसा किया जा सकता है। राजधानी में कुल 2051 स्कूली वाहन पंजीकृत हैं। इनमें 938 वैन तथा 1113 बसें हैं। डेढ़ से दो हजार स्कूली वैन ऐसी हैं जो प्राइवेट श्रेणी में दर्ज हैं, पर बच्चों को लाने-ले जाने का काम कर रहे हैं।

8200 घोस्ट वाहन बनेंगे चुनौती

राजधानी में 8200 से अधिक ऐसे वाहन हैं, जिनका पंजीकरण समाप्त हो चुका है या स्क्रैप हो चुके हैं। इन्हें घोस्ट वाहन कहते हैं। इनका विवरण कहीं नहीं हैं। ये भी स्कूली बच्चों को लाते-ले जाते हैं। इनकी जानकारी जुटाकर डाटा बैंक में शामिल करना आसान नहीं होगा।

इन बिंदुओं पर बनेगा डाटा बैंक

– वैन आरटीओ कार्यालय में किस श्रेणी में पंजीकृत है।

– आरटीओ के तय सेफ्टी के 13 मानकों को पूरा कर रही हो।

– मानक के अनुरूप बच्चों को वैन में लाया-ले जाया जा रहा हो।

– प्रति बच्चा अभिभावकों से वसूला जाने वाला चार्ज।

– वैन व ड्राइवर के कागजात पूरे व सही हों।

– वैन की फिटनेस नियमित रूप से हो। इंश्योरेंस हो।

– वैन किन-किन स्कूलों से बच्चों को ला-ले जा रही है।

– वैन चालक, मालिक का विवरण, मोबाइल नंबर, शपथपत्र।

– अग्निशमन यंत्र सहित वैन में सेफ्टी के सभी उपकरण हों।

– चालक के अतिरिक्त एक सहयोगी हो, जिसका विवरण लिया जाएगा।



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