समाजवादी पार्टी ने सोमवार को तीन विधायकों को पार्टी से निकाल दिया। इसमें एक नाम मनोज कुमार पांडेय का शामिल हैं। सपा से निष्कासित बागी विधायक मनोज पांडेय शीघ्र ही विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे सकते हैं। वे वर्तमान में रायबरेली की ऊंचाहार सीट से विधायक हैं। 

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सूत्र बताते हैं कि दोबारा चुनाव जीतने की स्थिति में वे सरकार में अहम जिम्मेदारी पा सकते हैं। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने या गैरहाजिर रहने वाले आठ विधायकों में से सिर्फ मनोज पांडेय ने ही अभी तक भाजपा की सदस्यता ली है। उन्होंने अपना सफर स्थानीय निकाय चुनाव से शुरू किया था। वे चार बार के विधायक हैं। 

वर्ष 2004-07 और 2012-17 की सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे थे। सपा में भी उनके पास अहम जिम्मेदारियां थीं। वे सपा के राष्ट्रीय सचिव और प्रदेश उपाध्यक्ष रह चुके हैं। जिस समय उन्होंने बगावत करके राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट किया था, तब भी वे विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक थे। 

भाजपा नेतृत्व से आश्वासन भी मिल चुका है

पांडेय सपा के निष्कासन के बाद दल-बदल कानून से मुक्त हो गए हैं। उनके नजदीकी सूत्र बताते हैं कि इसके बावजूद वे विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देंगे, ताकि उपचुनाव में भाजपा से टिकट पाकर फिर से सदन में पहुंच सकें। बताते हैं कि इसके लिए उन्हें भाजपा नेतृत्व से आश्वासन भी मिल चुका है। 

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भाजपा के अंदर उच्चस्तर पर बनी रणनीति के तहत ही इस दिशा में आगे बढ़ा जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि यह इसलिए भी जरूरी है कि मनोज पांडेय सपा के टिकट पर चुनाव जीते हैं और भाजपा नेतृत्व नहीं चाहता कि इस स्थिति में उन्हें कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने से गलत संदेश जाए। 

दारा सिंह चौहान ने भी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दिया था

इससे पहले कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान के मामले में भी ऐसा ही किया गया था। वे 2022 में सपा के टिकट पर घोसी से विधायक चुने गए थे, इसलिए उन्होंने भी मंत्री बनाए जाने का आश्वासन मिलने पर विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, उपचुनाव में वे हार गए। पार्टी ने उन्हें विधान परिषद भेजकर मंत्री बनाया।



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