Registry office case mathura entire staff removed due to delay in giving original deed

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– फोटो : amar ujala

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मथुरा रजिस्ट्री कार्यालय में मूल डीड एक दिन में वापस न देने के मामले में सोमवार को जांच समिति ने तीनों अधिकारियों से बंद कमरे में अलग-अलग समय में पूछताछ की। तीनों अधिकारी जांच समिति की फिरकी में उलझे रहे। सही और सटीक जवाब न देने पर जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट तैयार की है। मंगलवार को भी अधिकारियों से पूछताछ की जाएगी।

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3 दिसंबर को वृंदावन के साधुराम तौरानी ने फ्लैट की रजिस्ट्री के बाद मूल डीड देरी से देने पर स्टांप एवं पंजीयन मंत्री रविंद्र जायसवाल से फोन पर अधिकारियों की शिकायत कर दी थी। साधुराम को रजिस्ट्री के बाद भी मूल डीड वापस नहीं दी गई, जबकि रजिस्ट्री के तत्काल बाद मूल डीड देने का नियम है। मामला संज्ञान में आने के बाद स्टांप एवं पंजीयन मंत्री ने राजस्व विभाग के उप निबंधन प्रथम अजय कुमार त्रिपाठी, कनिष्ठ सहायक प्रदीप उपाध्याय और सतीश कुमार चौधरी को विभिन्न जनपदों से संबद्ध कर दिया है।

पूरे मामले की गहनता से जांच करने के लिए अयोध्या मंडल के उप महानिरीक्षक (निबंधन) निरंजन कुमार और उप महानिरीक्षक निबंधन अविनाश पांडेय की जांच समिति गठित की गई है। मामले में सोमवार को जांच समिति ने तीनों अधिकारी से बंद कमरे में एक-एक घंटे तक पूछताछ की। जांच समिति ने बताया है कि मंगलवार को भी पूछताछ की जाएगी। बुधवार को टीम रवाना हो जाएगी। इसके बाद कई पन्नों की रिपोर्ट तैयार करके स्टांप एवं पंजीयन मंत्री को सौंपी जाएगी। अगर जांच में मूल डीड की वापसी एक दिन बाद पाई गई तो सभी को निलंबित किया जाएगा।

निवर्तमान उप निबंधन प्रथम सदर अजय कुमार त्रिपाठी ने बताया कि सोमवार को जांच समिति के सामने अपना पक्ष रखा है। तकनीकी समस्या के कारण मूल डीड नहीं दे पाए हैं। इसके अलावा भी कई सवालों के जवाब दिए हैं।



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