
Lok Sabha Election 2024
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महीनों की तैयारी। हवा के रुख को अपनी ओर मोड़ने की हर संभव कोशिशें। मुद्दों को घिस-घिसकर धार देने, तीर बनाने और आजमाने के एक से बढ़कर एक प्रयोग। सियासी प्रयोगशालाओं ने बिना रुके, बिना थके खूब काम किया। अब हर दल को चुनावी मंथन से निकलने वाले अमृत का इंतजार है। …तो सियासी पंडितों समेत पूरे देश को इस मंथन से निकलने वाले संदेश का इंतजार है। कुल मिलाकर कहें तो नतीजे न केवल सत्ता का स्वरूप तय करेंगे, यह भी तय करेंगे कि किस दल की तैयारी में कितना दम रहा। किसकी प्रयोगशाला के नतीजे बेहतर रहे। बेहतर रहे तो क्यों? इस लिहाज से सबसे बड़ी परीक्षा भाजपा की ही होनी है।
नतीजों की कसौटी पर सबसे अधिक भाजपा की चुनावी तैयारियों को कसा जाएगा। सियासी पंडितों का भी मानना है कि नतीजे से सिर्फ हार-जीत का ही फैसला नहीं होगा, बल्कि भाजपा की रणनीतिक कौशल और तैयारियों की भी परख होगी। इसकी वजह भी है। क्योंकि सबसे ज्यादा प्रयोग भाजपा ने ही किए। प्रदेश में 80 सीटों को जीतने के लक्ष्य के साथ चुनावी तैयारियों में जुटी भाजपा ने बूथ से लेकर राज्य स्तर तक कई कार्यक्रम चलाए। बूथ प्रबंधन, पन्ना प्रमुख, युवा, महिला, किसान, अधिवक्ता और प्रबुद्धों के सम्मेलन तो किए ही, संवाद भी खूब किए।
बता दें कि अन्य दलों की तुलना में चुनाव की तैयारियों के लिहाज से भाजपा सबसे आगे दिख रही थी। भगवा ब्रिगेड ने एक साल पहले से ही सभी लोकसभा सीटों पर जनता से संपर्क करने के लिए 45 से अधिक तरह के संपर्क, सम्मेलन, संवाद और बैठकों के कार्यक्रम शुरू कर दिए थे। इन कार्यक्रमों के माध्यम से हर वर्ग के युवा, महिला और पुरुष मतदाताओं को साधने की कोशिश की गई।
संपर्क अभियानों के अलावा भाजपा ने सांसदों के टिकट काटने से लेकर 2019 में हारी हुई सीटों, कम मार्जिन से जीती सीटों के लिए अलग रणनीति तैयार की। कई सीटों पर जातीय समीकरणों को मजबूत करने के लिए दूसरे दलों के मौजूदा सांसदों को तोड़कर भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतारा। ऐसे में अब चुनाव के नतीजे के आधार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चेहरे के साथ ही भाजपा की साख की भी परीक्षा होनी है।