{“_id”:”66f1d601bafca82941069e34″,”slug”:”roads-built-at-the-cost-of-lakhs-are-now-full-of-potholes-orai-news-c-224-1-ka11004-120061-2024-09-24″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”Jalaun News: लाखों से बनी सड़कों में अब गड्ढों की भरमार”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}

आटा। क्षेत्र की जिन दो प्रमुख सड़कों पर लाखों रुपये खर्च किए गए थे। पहली बारिश में ही उनमें जगह-जगह गड्ढे हो गए। सड़कें पूरी तरह से ध्वस्त हो गईं। इन सड़कों से निकलने वाले ग्रामीणों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। आटा से अकोढ़ी मार्ग और आटा से संदी मार्ग पर मरम्मतीकरण के नाम पर लाखों रुपये का बजट खर्च हो गया है। इनमें से एक सड़क तो एक साल भी नहीं टिक पाई है। वहीं, दूसरी सड़क गड्ढों में गुम हो चुकी है। क्षेत्र की करीब एक लाख की आबादी गड्ढों में सफर कर रही है। पीडब्ल्यूडी के जेई अतुल पाल ने कहा कि बारिश के चलते सड़क में जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। जल्द सड़क की मरम्मत करवाई जाएगी।

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सीन- 1

आटा अकोढ़ी सड़क की एक साल पहले मरम्मतीकरण हुई थी। यहां 4.6 किलोमीटर की सड़क में 40 लाख रुपये खर्च हुए थे। जाम लगने के कारण करीब 800 मीटर की सड़क की मरम्मत नहीं हो पाई थी। मरम्मत के बाद एक साल भी सड़क नहीं चल पाई है। सड़क में जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। जिनमें रोजाना हादसे हो रहे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं को होती है। इन्हीं गड्ढों से होकर उन्हें अस्पताल पहुंचना होता है। इस मार्ग से 15 गांवों की करीब 35 हजार की आबादी का आवागमन होता है।

सीन-2

आटा से संदी मार्ग की मरम्मत तीन साल पहले हुई थी। तीन किलोमीटर की सड़क पर करीब तीस लाख का बजट खर्च हुआ था। इस मार्ग से संदी, जोराखेरा, रिरुआ, बरदर, बम्होरी, सिहिल सहित आधा दर्जन गांवों की करीब 15 हजार की आबादी जुड़ी हुई है। तीन साल में सड़क पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। अब यहां पर सड़क नहीं बल्कि गड्ढे ही गड्ढे दिखाई देते हैं। बारिश के दिनों में गड्ढों में पानी भरा रहता है। सड़क तो एक साल पहले ही ध्वस्त हो चुकी थी। लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।

ग्रामीणों से बातचीत

ग्रामीण कुलदीप ने बताया कि अकोढ़ी मार्ग से निकलने में आधा घंटा ज्यादा लगता है। पिछले दिनों बाइक से जा रहे थे। गड्ढे में गिरकर घायल हो गए थे। रात के समय तो यह सड़क खतरों से खाली नहीं है। साबिर ने बताया कि गांव की गर्भवती महिलाओं को अधिक परेशानी होती है। गड्ढों से उनकी समस्या और बढ़ जाती है। कई बार गर्भवती महिलाओं का वाहनों में ही प्रसव हो चुका है। जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं।



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