
ग्रामीण रतीलाल के साथ बैठक भोजन करता ठग।
अमेठी सिटी। बचपन में खोये बेटे को 22 साल बाद दरवाजे पर देख पिता व परिजनों की उम्मीद लौट आई। आंखों से अश्रुधारा फूट पड़ी। ममत्व ऐसा जगा कि भींचकर उसे सीने से लगा लिया। सबकुछ न्योछावर करने को तैयार।
यह देख संयास धारण करने वाला बेटा पसीज गया और गृहस्थ आश्रम में लौटने के लिए तैयार हो गया, लेकिन गुरुओं की दीक्षा चुकाने की शर्त पर। इसके बाद परिजनों से दान में मोटी रकम व दक्षिणा मांग भावनाओं का सौदा शुरू किया। यहीं से संदेह हुआ और फिर पता चला कि पूरा परिवार जिस युवक को अपना अरुण मानकर प्यार लुटा रहा है असल में वह जालसाज गोंडा जिले के टिकरिया गांव निवासी नफीस है।
ठगी के लिए साधु का वेशधारण कर पूरे परिवार को छल रहा था। मामले में पुलिस ने शनिवार को अज्ञात के खिलाफ जालसाजी का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। सीओ तिलोई डॉ. अजय सिंह ने बताया कि मामला ठगी से जुड़ा है।
अमेठी जिले के जायस कस्बे के खरौली गांव निवासी रतीपाल सिंह दिल्ली में काम करके चार बच्चों की परवरिश कर रहे हैं। उनका बड़ा बेटा अरुण करीब 22 साल पहले 11 वर्ष की उम्र में दिल्ली से लापता हो गया था, जिसका आज तक पता नहीं चला। 27 जनवरी को उसके साधु वेश में लौटने की चर्चा चली तो दिल्ली से रतीपाल भी पत्नी माया देवी के साथ घर लौट आए। साधु वेशधारी के रूप में लौटे अरुण ने बताया कि उसे एक बाबा अपने साथ ले गए थे। उसने गुरु गोरखनाथ के झारखंड स्थित पारसनाथ धाम में दीक्षा ली। गुरु का आदेश है कि मां के हाथ से भिक्षा पाने के बाद ही योग सफल होगा। पिता व परिजनों ने उससे घर लौटने की सिफारिश की तो उसने गुरु से बात कर बताने के लिए कहा। परिजनों ने भिक्षा के रूप में उसे 13 क्विंटल राशन, नया मोबाइल फोन व उपहार देकर विदा किया।
यहां से हुआ शक : दूसरे दिन अरुण के रूप में आए साधु वेशधारी ने फोन कर रतिपाल को बताया कि गुरुजी का कहना है कि गृहस्थ आश्रम में लौटने के लिए दीक्षा के रूप 10.80 लाख चुकाने पड़ेंगे। पिता ने धनराशि पर असमर्थता जताई तो थोड़ी देर में फोन कर कहा कि आश्रम के तीन हजार सन्यासियों को 360 रुपये प्रति व्यक्ति के अनुसार दान देना होगा। थोड़ी देर में बताया कि 160 रुपये प्रति सन्यासी दान देना होगा। बाद में 3.60 लाख रुपये देने पर बात बनी।
रतीपाल ने जमीन के एक टुकड़े का सौदा करके पैसों का इंतजाम किया। इसके बाद साधु वेशधारी की ओर से बताए गए झारखंड के आईसीआईसीआई बैंक खाते में पैसा ट्रांसफर करने पहुंचे।
बैंक मैनेजर ने बताया कि एक दिन में 25 हजार से ज्यादा जमा नहीं हो सकेगा। साधु वेशधारी ने यूपीआई से भुगतान का दबाव बनाया। रतिपाल ने कहा कि मठ का नंबर दो उस पर भुगतान किया जाएगा तो उसने बना कर दिया। यहीं से रतिपाल को ठगी का शक हुआ। उन्होंने दान का सामान लेकर जाने वाले पिकअप चालक से पूछताछ की तो उसने बताया कि साधु वेशधारी झारखंड नहीं, बल्कि गोंडा गया। सारा सामान भी उतारा। इसके बाद तो उनका माथा ही ठनक उठा। पुलिस जांच में भी पता चला कि संबंधित खाता झारखंड नहीं, गोंडा जिले का है।
उधर, गोंडा के एसपी विनीत जायसवाल ने बताया कि टिकरिया गांव में रहने वाले कई लोगों द्वारा जोगी बनकर जालसाजी करने की शिकायत मिली है। दो आरोपियों द्वारा अमेठी जिले में भी साधु वेश बना किसी को झांसा देने का मामला प्रकाश में आया है। तलाश के निर्देश दिए गए हैं।
पुलिस को देखकर भागा जालसाज
आरोपी के मोबाइल लोकेशन के आधार पर जायस पुलिस गोंडा कोतवाली देहात पहुंची। जिसे देख आरोपी गन्ने के खेत में भाग निकला। पुलिस ने परिजनों को बताया कि अरुण बनकर घर पहुंचा जालसाज स्थानीय निवासी नफीस है, जो ठगी में पहले भी जेल जा चुका है। उसका भाई राशिद भी इसी तरह के मामले में मिर्जापुर में जेल जा चुका है। उसका एक रिश्तेदार असलम भी ऐसे ही मामले में वांछित है।
