वृंदावन में होली पर श्री राधा हित केली कुंज आश्रम में भक्ति और रंगों का अनोखे संगम में हर कोई डूबता हुआ दिखाई दिया। चहुंओर उड़ता हुआ गुलाल और गूंजता राधा नाम वातावरण को पवित्र और हर किसी की दिल में नाम जप की अलख जगा रहा था। संत प्रेमानंद महाराज ने जैसे ही श्रद्धालुओं पर गुलाल डाला तो वह खुशी में झूमने लगे।

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संत प्रेमानंद महाराज से होली खेलने के रात से उनके आश्रम के बाहर लोगों पहुंचना शुरू कर दिया था। जैसे ही महाराज जी ने रंगों की वर्षा की श्रद्धालुओं ने इसे ईश्वरीय कृपा मानते हुए खुद को धन्य महसूस किया। भक्तों का कहना था कि यह उनके लिए केवल रंगों का उत्सव नहीं था, बल्कि ऐसा लगा मानो उन्होंने स्वयं भगवान से होली खेली हो।

महाराज जी ने अपने प्रवचन में प्रेम और भक्ति का संदेश दिया। उन्होंने कहा होली केवल रंगों का पर्व नहीं, बल्कि भक्त और भगवान के प्रेम का उत्सव है। जब हम निष्काम भाव से भक्ति में लीन होते हैं तो स्वयं राधा-कृष्ण हमारे साथ होली खेलते हैं। गुलाल और भक्ति रस में डूबे श्रद्धालु नृत्य और कीर्तन में लीन हो गए। पूरा वातावरण ‘राधे-राधे’ और ‘बांके बिहारी लाल की जय’ के जयकारों से गूंज उठा।



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