
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य
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स्वामी प्रसाद मौर्या ने सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है। इस पत्र की भाषा पर गौर करें तो लगता है कि वह अपने बयानों पर पार्टी के द्वारा समर्थन ना मिलने पर असहज हैं। स्वामी इस पत्र में कह रहे हैं कि वह जब कोई बयान देते हैं जो समाज के आंडबर खत्म करने वाला होता है। संवैधानिक नजरिए से सही होता है। वैज्ञानिक होता है। पार्टी इन बयानों के साथ खड़ी नहीं होती। उल्टे उनके बयानों को निजी बयान बता दिया जाता है। एक राष्ट्रीय महासचिव का बयान निजी कैसे हो सकता है।
अपने पत्र में वह छुटभईया नेताओं पर भी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। बीते दिनों में स्वामी प्रसाद के बयानों पर सबसे तीखी प्रतिक्रिया पूर्व मंत्री और वर्तमान में ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडेय ने प्रकट की थी। हो सकता है कि स्वामी की प्रतिक्रिया मनोज पांडेय को लेकर हो। एक ही दिन पहले वह मनोज पांडेय को बीजेपी का एजेंट बता चुके हैं।
स्वामी प्रसाद के बयानों पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ उनकी पत्नी डिंपल यादव और चाचा शिवपाल यादव भी इसे उनके निजी बयान बताते रहे हैं। पत्र की भाषा यह कहती है कि यदि उनके बयानों का समर्थन ना भी किया जाए तो कम से उन्हें निजी बताकर भोथरा ना किया जाए।