Sambhal Lok Sabha: Enmity of decades, trouble for SP, competition between Burke and Mehmood families Sambhal

डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क और विधायक इकबाल महमूद
– फोटो : अमर उजाला

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संभल सपा का गढ़ माना जाता है। इस संभल लोकसभा क्षेत्र से सपा के संस्थापक व पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और उनके भाई प्रोफेसर रामगोपाल यादव भी चुनाव लड़कर सांसद रह चुके हैं। इसके बाद भी यह सीट पार्टी की गुटबाजी का शिकार रही है।

डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क और इकबाल महमूद के परिवार में करीब पांच दशक से राजनीतिक अदावत चली आ रही है। इसका खामियाजा पार्टी को कई बार उठाना भी पड़ा है। वर्ष 1998 और 1999 में मुलायम सिंह यादव ने लोकसभा का चुनाव जीता था। 

इसके बाद वर्ष 2004 में प्रोफेसर रामगोपाल यादव लोकसभा का चुनाव जीते थे। इसके बाद वर्ष 2009 में सपा ने इकबाल महमूद को टिकट दिया था। उस समय डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क भी सपा में थे और मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी थे।

जब टिकट कटा तो वह बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। खामियाजा सपा प्रत्याशी को उठाना पड़ा था। इकबाल महमूद हार गए थे। बसपा के प्रत्याशी डॉ. बर्क जीत गए थे। इसके बाद वर्ष 2014 में सपा ने डॉ. बर्क को प्रत्याशी बनाया था।

जिसमें भाजपा प्रत्याशी सत्यपाल सिंह सैनी से डॉ. बर्क को हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में डॉ. बर्क ने आरोप लगाया था कि पार्टी के नेताओं ने चुनाव नहीं लड़ाया और विरोध किया था। वर्ष 2019 में भी दोनों खेमों में बगावत सामने आई थी लेकिन गठबंधन के चलते डॉ. बर्क को बड़े अंतर से जीत मिली थी।

इस बार के चुनाव में भी बगावत के सुर उठ सकते हैं। क्योंकि डॉ. बर्क को जब पहली सूची में सपा ने प्रत्याशी घोषित किया था तो इकबाल महमूद के तेवर तीखे हो गए थे। उस समय भी उन्होंने अपने समर्थकों से बैठक करने के बाद ही निर्णय लेने की बात कही थी।

ठीक वैसे ही तेवर इस बार भी बने हुए हैं। इससे जाहिर हो रहा है कि संभल में सपा की गुटबाजी एक बार फिर सामने आ सकती है।

 



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