Samvad 2024 Smriti Irani said that why the question of bringing women forward is only for women leaders

Amar Ujala Samvad
– फोटो : अमर उजाला

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महिलाओं को आगे लाने का सवाल सिर्फ महिला नेताओं से ही क्यों पूछा जाता है? पुरुष राजनेताओं से क्या कभी पुरुषों के लिए सुझाव पूछा जाता है। महिला ही महिलाओं के लिए क्यों प्रेरणा बने? कभी कहा जाता है कि कोई पुरुष लड़कों के लिए प्रेरणा बने। यह सवाल ही भेदभाव का बीज बोता है। ये शब्द हैं केंद्रीय महिला कल्याण, बाल विकास एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी के। अमर उजाला संवाद में उन्होंने हर सवाल पर बेबाक अंदाज में अपनी बातें रखीं।

सड़क पर क्रीम भी बेची, बर्तन भी धोए 

राजनीतिक महत्वाकांक्षा पर चर्चा में स्मृति ने कहा कि मेरी उम्र 47 साल है। मेरे हिसाब से सबसे सफल वह व्यक्ति है, जिसकी कोई अभिलाषा नहीं है। मेरी कोई अभिलाषा बची नहीं है। जनपथ में क्रिकेटर मनोज प्रभाकर की कंपनी थी। वहां मैंने 200 रुपये दिहाड़ी पर सड़क पर क्रीम भी बेची है। मुंबई में 1800 रुपये महीने में बर्तन धोने की नौकरी करती थी, जिसने यह सब देखा हो, उसके लिए आज यहां होना ही बड़ी सफलता है।

27 साल में पहला चुनाव लड़ा था

मीडिया व अभिनय दोनों में से क्या चुनौतीपूर्ण था, इस सवाल पर स्मृति ने कहा कि बहुत लोगों को खुशफहमी है कि मेरी मीडिया और राजनीति की यात्रा अलग थी। मेरा यह सौभाग्य रहा कि मैं डब्ल्यूएचओ की यू शेड की राजदूत रही। तब मेरी उम्र 23 साल थी। तब मैं विश्व स्वास्थ्य संगठन में महिला और स्वास्थ्य से जुड़े विषय पर काम कर रही थी। 25 साल की उम्र में कार्यकाल खत्म कर राजनीति में आई।



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