Samvad: Union Minister Smriti Zubin Irani related some unheard stories

अमर उजाला संवाद कार्यक्रम में स्मृति जुबिन ईरानी
– फोटो : अमर उजाला

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वर्तमान राजनीति में अगर आप अच्छे वक्ताओं की बात करें तो ऐसा नहीं हो सकता कि आपके जहन में स्मृति जुबिन इरानी का नाम न आए। संवाद के मंच पर जब वह पहुंची तो उनसे पूंछा गया कि आपके इतने सदे शब्दों के इस्तेमाल के पीछे का क्या कारण है? क्या आप स्पीच के पहले तैयारी करती हैं? इस पर उनका कहना था कि यूपी वालों का अंदाज-ए-बयां ही ऐसा है, क्या कीजिएगा? यह भी सत्य है कि प्रभु की असीम कृपा रही है कि मैं कहीं कोई डेटा या कोई छंद पढ़ लूं तो आजीवन याद रहता है। मैं पिताजी की चलती फिरती टेलीफोन बुक हुआ करती थी। वे कहते थे कि स्मृति को बुलाओ, उसे नंबर याद होगा। नाना ने मेरा नाम सृति रखा था। पिता पंजाबी थे तो बोले कि जिंदगी भर नाम नहीं ले पाएंगे तो वह स्मृति कर दिया गया, लेकिन डेटा याद रहता है मुझे। अनुभव याद रहते हैं। इसलिए स्पीच लिखकर बोलने वालों में से नहीं हूं। यह शौक सिर्फ गांधी खानदान के लोग रहते हैं।

आपको प्रेरणा किससे मिलीं? आपकी कभी-कभी सुषमा स्वराज जी से तुलना होती है। 

स्मृति जुबिन ईरानी: सुषमा स्वराज जी लीजेंड हैं। उनसे मेरी तुलना होना सही नहीं है। सुषमा जी की पीढ़ी ने तब संघर्ष किया, जब भाजपा में होना अपने आप में दुर्लभ दृश्य होता था। बहुत सारे साथी नहीं मिलते थे। मीडिया से मुखातिब होना आसान नहीं था। उनकी शैली और उनका योगदान भिन्न था। मेरा नाम उनके साथ लिया जाता है तो वह उनकी तौहीन होगी। उनका अपना योगदान है। मेरी अब तक औकात नहीं हुई है कि मेरा नाम सुषमा जी के साथ लिया जाए। 

मोहब्बत की दुकान बनाम मोदी की गारंटी पर क्या कहेंगी?

स्मृति जुबिन ईरानी: पहली बार गांधी परिवार ने स्वीकार किया है कि राजनीति उनके लिए किसी दुकान से कम नहीं है। पहली बार उन्होंने एलान किया है कि राजनीति उनके लिए कारोबार है। मोदी जी के लिए तो यह सेवा का माध्यम है। जो खुद को चिह्नित करके दुकानदार बता दे, जनता उसे भविष्य का सौदा करने के लिए वोट क्यों दे?

2024 में क्या शीर्षक होगा?

स्मृति जुबिन ईरानी: जिन्होंने 2019 में अमेठी छोड़ दिया, अब वे वायनाड छोड़ने की तैयारी में हैं। अमर उजाला के मंच पर आई हूं, मुझ तक यह खबर भी न पहुंचती तो लानत है। अमेठी में कौन लड़ेगा, यह भाजपा का संसदीय बोर्ड बताएगा। जब आप ऐतिहासिक जीत दर्ज कर लें तो बहुत मुश्किल होता है। मैंने पांच साल में एक ही जवाब दिया है। अमेठी में कौन लड़ेगा, यह निर्णय भाजपा संसदीय बोर्ड ही करेगा। कार्यकर्ताओं से अपेक्षा है कि मर्यादा का उल्लंघन न करे। जो भी लड़ेगा, 400 पार के आंकड़े में अमेठी से कमल का एक फूल जरूर जाएगा।



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