सरसंघचालक भागवत ने बुधवार को संघ भवन के सभागार में कुटुंब प्रबोधन गतिविधि के कार्यकर्ताओं के साथ भी बैठक की। कहा कि भारत की रीति-नीति, परंपरा और संस्कृति से पूरा विश्व फिर से आकर्षित हो रहा है। महाकुंभ इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। हमारा देश विश्व गुरु बनने की दिशा में अग्रसर है। हमें इसे समझना होगा।

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कहा कि हमारे परिवार की जो कल्पना है, उसे सुरक्षित रखने के लिए काम करना है। कुटुंब प्रबोधन गतिविधि के संबंध में बताया कि कोई भी समाज और संस्कृति छः बिंदुओं के आधार पर चलती है। जिसमें भजन, भोजन, भवन, भाषा और भ्रमण शामिल है। कहा कि परिवार के लोग दिन में एक बार साथ मिलकर भोजन करें। परिवार के अंदर अपनी मातृभाषा में बातचीत करें, हम जो भी पहनें और जिस घर में रहें, वहां के वातावरण में हमारे संस्कार प्रदर्शित होने चाहिए।

कहा कि परिवार के लोगों में एक दूसरे के प्रति दायित्व की अनुभूति रहे। इसे धीरे-धीरे पूरे समाज में बढ़ाना है। जिससे एक आदर्श कुटुंब की स्थापना हो। बैठक में अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वागत रंजन, विनोद शंकर सहित सभी क्षेत्र और प्रांत स्तर के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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