
Sanjeev Jeeva Murder
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मुजफ्फरनगर निवासी संजीव उर्फ जीवा ने वर्ष 1991 में मुजफ्फनगर में पहला अपराध किया था। तब उसके खिलाफ कोतवाली नगर में मारपीट का केस दर्ज किया गया था। उसके केस में वह दोषमुक्त भी हो चुका था। वर्ष 1991 में किए गए पहले अपराध के बाद संजीव ने अपराध की दुनिया में एक कदम रखा कि फिर वह अपराध के दलदल में डूबता चला गया।
पुलिस रिकार्ड बताते हैं कि संजीव के खिलाफ मुजफ्फरनगर में 17, उत्तराखंड में 5, गाजीपुर जनपद में एक, फर्रूखाबाद जनपद में एक और लखनऊ में एक कूल 25 मामले दर्ज हैं। पश्चिमी यूपी में तैनात रहे एक अधिकारी ने बताया कि संजीव अपराध की दुनिया में आने से पहले एक दवाखाने में काम करता था।
इसके बाद उसने अपराध करना शुरु किया और उत्तराखंड के नाजिम गैंग के लिए काम करने लगा। कुछ दिन उसने सतेंद्र बरनाला गैंग के लिए काम किया और उसने मुन्ना बजरंगी का हाथ थाम लिया और वहीं से मुख्तार अंसारी का करीबी हो गया। पुलिस सूत्रों की मानने तो संजीव उर्फ जीवा हथियारों का डीलिंग का काम मुख्तार के लिए किया करता था।
रंगदारी का दर्ज हुआ आखिरी मुकदमा
शहर की कोतवाली नई मंडी में व्यवसायी मनीष गुप्ता ने संजीव जीवा, उसकी पत्नी पायल माहेश्वरी और गैंग के सदस्यों के खिलाफ 21 मई 2022 को दर्ज कराया था। इस मुकदमे में जीवा की संपत्ति को भी कुर्क कर लिया गया था।