semen production stopped Due to wrong treatment disappointment after 14 years 10 lakh fine imposed on doctor

पिता बनने की हसरत अधूरी रह गई।
– फोटो : अमर उजाला

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राजधानी लखनऊ में डॉक्टरों के गलत इलाज से 2005 में शादी के बंधन में बंधे दंपती की बच्चे पाने की हसरत समाप्त हो गई। मामले में राज्य उपभोक्ता आयोग के पीठासीन अध्यक्ष और न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने गलत उपचार करने वाले डॉक्टर पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। 

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साथ ही जुर्माने की रकम के साथ विधिक व्यय के लिए 25 हजार रुपये, नौ प्रतिशत ब्याज के साथ 30 दिन के अंदर पीड़ित को देने का आदेश दिया। इसके अलावा निजी अस्पताल पर सरकारी डॉक्टर से इलाज करवाने के लिए एक लाख का जुर्माना भी लगाया है।

जौनपुर के रहने वाले रूपेश चंद्र श्रीवास्तव और उनकी पत्नी एकता अस्थाना की याचिका में बताया गया कि उनकी शादी 2005 में हुई। इसके बाद से ही बच्चों की चाहत के लिए 14 साल तक नामचीन डॉक्टरों से इलाज कराते रहे। 

फीनिक्स अस्पताल में इलाज लेना शुरू किया

शुरुआत में ही मेडिकल टेस्ट में पता चला कि रूपेश को शारीरिक रूप से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन उसकी पत्नी को इलाज की जरूरत है। इलाज के दौरान रूपेश को भी तेज बुखार के बाद पेशाब में संक्रमण की परेशानी हुई। इसके लिए उसने प्रयागराज के मशहूर डॉक्टर अरविंद गुप्ता से फीनिक्स अस्पताल में इलाज लेना शुरू किया। 

डॉ गुप्ता प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में नेफ्रोलोजी के प्रोफेसर थे जो फीनिक्स अस्पताल समेत कई निजी संस्थानों में भी प्रैक्टिस करते थे। डॉ गुप्ता ने रूपेश को टेस्टोस्टरोन हार्मोन के इंजेक्शन लगाने के लिए कहा। जिसे उसने लगभग डेढ़ साल तक लगाए। इंजेक्शन के बाद भी आराम न मिलने पर रूपेश अपनी पत्नी के साथ डॉ सीमा पांडेय से मिला। 

पिता बनने की संभावना समाप्त हो गई

इसके बाद उसे इलाज से हो रही परेशानी का पता चला। मेडिकल टेस्ट में पुष्ट हुआ कि रूपेश का वीर्य बनना बंद हो गया था। डॉ पांडेय ने उसे आईवीएफ की सलाह दी। लेकिन, रूपेश के सीमेन निल होने के कारण आईवीएफ संभव नहीं हो सका। याचिका में कहा गया कि डॉ गुप्ता के गलत इलाज से रूपेश के पिता बनने की संभावना समाप्त हो गई।



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