
संतोष गंगवार, धर्मेंद्र कश्यप, संघमित्रा मौर्य
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सियासत के लिए बेहद उपजाऊ रुहेलखंड की धरती पर लोकसभा चुनाव में खम ठोकने वालों पर राजनीतिक दल और समर्थक भी खूब मेहरबान रहे हैं। पिछले आंकड़े बताते हैं कि बरेली, आंवला और बदायूं लोकसभा सीट पर भाजपा, सपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को चुनावी खर्च की चिंता नहीं रहती। चुनावी खर्च से कहीं ज्यादा रकम उन्हें चंदे में मिल जाती है। ऐसे में 70 लाख रुपये अधिकतम खर्च की सीमा वाले लोकसभा चुनाव में भी ज्यादातर प्रत्याशियों को अपनी एक पाई भी नहीं खर्च करनी पड़ी है।
संतोष ने चंदे की रकम से जीता चुनाव
वर्ष 2019 में बरेली लोकसभा सीट से प्रत्याशी रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार को समर्थकों ने दिल खोलकर चंदा दिया। इन्हें 161 लोगों ने 43.57 लाख रुपये का चंदा चेक व अन्य माध्यमों से चुनाव लड़ने के लिए दिया था। चुनाव अभियान में महज 37.55 लाख रुपये खर्च कर वह जीत दर्ज करने में कामयाब रहे थे। माना जा रहा है कि तगड़े चंदे की वजह से पार्टी की ओर से इन्हें कोई सहयोग राशि नहीं दी गई होगी। इसके बावजूद आठवीं बार सांसद बनने के लिए उन्हें निजी संपत्ति से एक रुपये भी निकालने की जरूरत नहीं पड़ी।
इसी चुनाव में संतोष के प्रतिद्वंद्वी रहे सपा प्रत्याशी भगवत सरन गंगवार को भी पार्टी और समर्थकों ने हाथोंहाथ लिया। इन्हें पार्टी ने चुनाव अभियान की शुरुआत के लिए 10 लाख रुपये दिए तो जनता से इन्हें 11.03 लाख रुपये का दान भी मिला। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन ने सबसे ज्यादा 60.19 लाख रुपये खर्च किया था। इसमें उन्हें पार्टी की ओर से 50 लाख रुपये मिले थे और 10 लाख रुपये उन्होंने कर्ज के रूप में एकत्र किया था। इसके बावजूद वह चुनाव हार गए थे।