लखनऊ। केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि सेप्सिस वैश्विक चुनौती बन चुका है। इसका समाधान तलाशने के लिए सभी चिकित्सकों को मिलकर काम करना चाहिए। वे शुक्रवार को पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में सेप्सिस पर आयोजित सेमिनार में बोल रही थीं। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने इसका शुभारंभ किया।
पाठक ने कहा, सेप्सिस से बचाव के लिए डॉक्टरों को वैश्विक स्तर पर कुछ गाइडलाइन तैयार करनी चाहिए। पीजीआई के डॉ. आरके सिंह कहा, आईसीयू में भर्ती मरीजों में सेप्सिस की जल्द पहचान से उसका निदान किया जा सकता है। मौके पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद्र, डॉ. अमिता जैन, डॉ. दिगंबर बेहरा, डॉ. आलोक नाथ, डॉ. एसके जिन्दल, प्रो. नारायण प्रसाद, डॉ. सुमित रूंगटा मौजूद रहे।
पांच में से एक मौत सेप्सिस से
विभागाध्यक्ष प्रो. वेद प्रकाश ने बताया कि वैश्विक स्तर पर हर पांच में से एक मौत का कारण सेप्सिस है। पिछले दशकों में सेप्सिस की घटनाओं में थोड़ी कमी आई है, लेकिन मृत्यु दर चिंताजनक रूप से अधिक बनी हुई है। बुजुर्गों व नवजात में सेप्सिस होने पर मृत्यु दर अधिक होती है। इसका प्रमुख कारण इनमें रोगों से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा तंत्र का कमजोर होना है। देश में सेप्सिस से मृत्यु दर लगभग प्रति एक लाख पर 213 है, जो वैश्विक औसत दर से काफी अधिक है।