Muzaffarnagar के चरथावल मोड़ स्थित सिद्ध पीठ श्री शनि धाम मंदिर में इस वर्ष शनि जयंती (Shani Jayanti 2025) और वट अमावस्या का पर्व एक साथ आकर आस्था का ऐसा संगम बन गया, जिसे श्रद्धालु वर्षों तक याद रखेंगे। सुबह से ही मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी, श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत नज़ारा चारों ओर देखने को मिला।
सुंदरकांड से हुई शुरुआत, भक्तों में दिखा उत्साह
दिन की शुरुआत श्री सुंदरकांड पाठ से हुई, जिसे प्रेम प्रकाश अरोड़ा और उनकी टीम ने मानव कल्याण परिषद के बैनर तले किया। मंत्रोच्चारण और भजन की मधुर ध्वनि से मंदिर परिसर गूंज उठा। भक्तजन मंत्रों के उच्चारण में लीन नजर आए। पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।
शनि देव का विशेष अभिषेक और महा आरती
इस बार आयोजन की भव्यता को और बढ़ाने के लिए 31 यजमानों द्वारा शनिदेव का विशेष अभिषेक किया गया। घी, दूध, दही, बूरा, काले तिल, और नीले पुष्पों से भगवान शनिदेव को स्नान कराया गया। यह दृश्य ऐसा था मानो स्वयं देवगण भी धरती पर उतर आए हों। राहुल अग्रवाल अपने परिवार संग इस महायज्ञ के यजमान बने।
शनि धाम में छप्पन भोग और विशाल भंडारा
दोपहर की महा आरती के बाद शनिदेव को छप्पन भोग अर्पित किए गए। हिमांशु कुमार के सौजन्य से विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें हज़ारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। भंडारे में खास तौर पर पूड़ी, आलू की सब्ज़ी, खीर, हलवा, चावल, कढ़ी, पकोड़े जैसे पारंपरिक व्यंजन परोसे गए।
संध्या आरती में उमड़ी भारी भीड़
शाम की आरती के यजमान दिनेश कुमार बने। इस अवसर पर शंख और घंटियों की ध्वनि के साथ पूरे मंदिर प्रांगण में ऐसा माहौल बन गया जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। आरती के समय श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ थी कि पैर रखने तक की जगह नहीं बची।
महिलाओं की विशेष भागीदारी, सुहागन स्त्रियों ने मांगी मन्नतें
शनि जयंती (Shani Jayanti 2025) और वट अमावस्या के विशेष संयोग पर सुहागन स्त्रियों ने व्रत रखकर विशेष पूजा अर्चना की। पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए उन्होंने पीपल की पूजा की और कच्चे सूत से वृक्ष की परिक्रमा की। मंदिर परिसर में इस दौरान सिंदूर, चूड़ियों, बिंदियों की बहार थी।
धार्मिक अनुष्ठानों का विधिवत संचालन
पूरे कार्यक्रम की धार्मिक विधियों को पंडित केशवानंद, पंडित संजय कुमार मिश्रा, पंडित संतोष मिश्रा, और शिव मिश्रा ने पूरी निष्ठा और विधिपूर्वक संपन्न कराया। मंत्रोच्चारण की एक-एक ध्वनि ने श्रद्धालुओं के ह्रदय को छू लिया।
समिति की सक्रिय भूमिका, आयोजनों में दिखा सहयोग
इस अद्भुत आयोजन के पीछे शनि धाम मंदिर प्रबंध समिति की मेहनत और समर्पण भी साफ नजर आया। शरद कपूर, ललित मोहन शर्मा, नरेंद्र पवार, मुकेश चौहान, संदीप मित्तल की सहभागिता उल्लेखनीय रही। आयोजन में सहयोग करने वालों में आशीष, अनमोल, सतीश, राकेश कुमार, श्रीमती मंजू, नीतू भारद्वाज (साउंड सिस्टम) आदि के नाम प्रमुख हैं।
भविष्य में और भव्य आयोजनों की आशा
शनि धाम मंदिर समिति ने बताया कि भविष्य में शनि जन्मोत्सव को और भी भव्य बनाने की योजना है। न केवल पूजा-अर्चना, बल्कि आध्यात्मिक व्याख्यान, स्वास्थ्य शिविर और जरूरतमंदों के लिए सेवाभाव भी इस मंदिर का हिस्सा होंगे।
शनि जयंती से जुड़े ज्योतिषीय और धार्मिक महत्व
शनि जयंती को लेकर शास्त्रों में विशेष मान्यता है। यह दिन न्याय के देवता भगवान शनि के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। कर्मों के फलदाता शनिदेव के प्रभाव को शांत करने, उनकी कृपा प्राप्त करने और कष्टों से मुक्ति पाने के लिए यह दिन सर्वोत्तम माना जाता है। खासकर कुंडली में शनि दोष से पीड़ित जातकों के लिए यह पर्व अत्यंत फलदायक होता है।
हिंदू धर्म में वट अमावस्या का विशेष स्थान
वट अमावस्या भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि है, जब महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करके अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। यह पर्व विशेषकर उत्तर भारत में बड़ी आस्था और श्रद्धा से मनाया जाता है। वट अमावस्या और शनि जयंती का संयोग इस बार विशेष फलदायी माना गया।
श्रद्धालुओं के लिए बना आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र
शनि धाम अब न केवल एक मंदिर रह गया है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र बन चुका है जहाँ भक्तजन केवल पूजा ही नहीं करते, बल्कि जीवन की दिशा और प्रेरणा भी पाते हैं। यहाँ आने वाले हर श्रद्धालु की यही भावना थी कि शनि देव कृपा बरसाने वाले देवता हैं, न कि डराने वाले।
शनि जयंती 2025 का यह आयोजन न केवल एक धार्मिक उत्सव था, बल्कि यह श्रद्धा, आस्था, सेवा और सामाजिक समरसता का अद्भुत संगम बनकर सामने आया। मुजफ्फरनगर का श्री शनि धाम आने वाले वर्षों में और भी बड़े स्तर पर इस प्रकार के आयोजनों का केंद्र बनेगा, ऐसी ही उम्मीद भक्तों और आयोजकों को है।