शिव की नगरी काशी में शक्ति की आराधना की तैयारियां शुरू हो गई हैं। पूजा पंडाल समितियां फिलहाल माता की प्रतिमा के विसर्जन पर असमंजस की स्थिति में हैं। अमर उजाला संवाद में पूजा समितियों में प्रशासनिक उत्पीड़न बंद करने के साथ ही मां दुर्गा की प्रतिमा को बहते हुए पानी में विसर्जन की मांग उठाई। पूजा समितियों ने एकस्वर में कहा कि एनजीटी व प्रदेश सरकार मानक तय करे, हम उसका पालन करने के लिए तैयार हैं। मां गंगा की गोद में प्रतिमाओं को प्रवाहित करने की अनुमति दी जाए।
बनारस में बनने वाली 512 प्रतिमाएं इको फ्रेंडली ही बन रही हैं। इसे गंगा में विसर्जन से कोई दिक्कत नहीं होगी। पूजा समितियों ने कुंडों व पूजा पंडालों के पास सफाई, सड़कों की मरम्मत, सुरक्षा और बिजली की मुकम्मल व्यवस्था करने की मांग की।
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बंगाल की तर्ज पर हो काशी में दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन
काशी में तैयार होने वाली मां दुर्गा की प्रतिमाओं में बांस, पुआल, गंगा मिट्टी, खड़िया और खाने वाले रंगों का इस्तेमाल होता है। इसमें से कोई भी ऐसी वस्तु नहीं है जिससे गंगा में प्रदूषण हो। हमारी मांग है कि बंगाल की तर्ज पर काशी में मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाए। गंगा में प्रतिमाओं को डुबाकर निकाल दिया जाए, जिससे हमारी आस्था भी आहत नहीं होगी। इसके समर्थन में हम लोगों ने 29 सितंबर को एक घंटे का ब्लैक आउट करने का निर्णय लिया है। काशी की जनता से भी हम कहना चाहते हैं कि अगर हमारी मांग सही है तो वह भी पांच मिनट के लिए शाम को सात बजे अपने घर की लाइट बंद करके हमारा समर्थन करें। पूजा समितियों को पूजन की अनुमति के लिए परेशान होना पड़ता है इसमें बदलाव की जरूरत है। -तिलकराज मिश्र, अध्यक्ष केंद्रीय पूजा समिति