आगरा। इस देश को नगरीय व्यवस्था छत्रपति शिवाजी महाराज की देन है। रायगढ़ का किला उनकी इस परिकल्पना का गवाह है। वह ऐसे राजा थे जो जनता की नब्ज को समझते थे। उनकी इसी दूरदर्शिता को आधार बनाकर मोदी सरकार ने 2047 के विकसित भारत के संकल्प को तैयार किया है। फतेहाबाद रोड स्थित कलाकृति कन्वेंशन सेंटर के मैदान में दिव्य प्रेम सेवा मिशन की ओर से आयोजित जाणता राजा महानाट्य के शुभारंभ पर यह बात पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कही।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि विकसित भारत का अर्थ है ऐसा भारत, जहां हर नागरिक को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, सुरक्षित आजीविका, स्वच्छ परिवेश, सुदृढ़ आधारभूत ढांचा, स्वच्छ माहौल मिले। विकास का अर्थ सिर्फ जीडीपी की गति नहीं बल्कि मानवीय गरिमा, पर्यावरणीय संतुलन सामाजिक समरसता का सामंजस्य है। इससे पहले उन्होंने कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद पर्यटन मंत्री के छत्रपति को लेकर की गई घोषणाओं के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इन घोषणाओं के पूरा होने पर छत्रपति की स्मृतियां आगरा में चिरायु हो जाएंगी। उन्होंने लोगों से जाणता राजा नाट्य को देखने की अपील की। इससे पहले पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, मिशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष गौतम, महानाट्य की स्वागत समिति के अध्यक्ष राकेश गर्ग ने भी सभा को संबोधित किया।
इस दौरान महामंडलेश्वर उमाकांतानंद, यूपी सरकार में शिक्षा सलाहकार प्रो. डीपी सिंह, उच्च न्यायालय इलाहाबाद के अपर महाधिवक्ता महेश चतुर्वेदी, मिशन के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. संजय चतुर्वेदी, उपाध्यक्ष महेश चतुर्वेदी, छत्रपति शिवाजी महाराज प्रतिष्ठान के महामंत्री अजीत आप्टे, आयोजन समिति के अध्यक्ष संजीव महेश्वरी, पंकज पाठक, अमन चौहान, ललित शर्मा, युवराज सिंह चौहान, राहुल जोशी, उज्जवल चौहान आदि मौजूद रहे।
ये पब्लिक है सब जानती है…
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि अब कहा जाता है कि ये पब्लिक है, सब जानती है। छत्रपति ऐसे राजा थे जो अपनी जनता की नब्ज को समझते थे। यही कारण था कि उन्होंने लंबे समय तक शासन किया और अपनी दूरदृष्टि व काम से लोगों के बीच अपनत्व बनाए रखा। वह मर्यादा का महत्व समझते और उसका पालन करते थे। इस नाटक को देखने की सार्थकता इसी में है कि हम जो कुछ सीखें, उसका अपने जीवन में पालन करें।
जय भवानी.. जय शिवाजी से गूंजा आसमान
छत्रपति शिवाजी महाराज के अदम्य साहस और धर्मरक्षण की भावना को जीवंत करते हुए शनिवार को कलाकृति कन्वेंशन सेंटर में जाणता राजा महानाट्य का भव्य मंचन किया गया। सांस्कृतिक समर्पण के बीच छत्रपति के जयकारों से पूरा आसमान गूंज उठा। नाट्य के दौरान शिवाजी महाराज के हिन्दवी स्वराज के उद्घोष के बाद पूरा पंडाल जय भवानी, जय शिवाजी के नारों से गूंज उठा। हाथी, घोड़े, ऊंटों ने महानाट्य की भव्यता को बढ़ा दिया। महाराज के राज्याभिषेक के दृश्य को आतिशबाजी और संगीतमय मंत्रों ने आकर्षक रूप दिया। पद्म विभूषण बाबासाहेब पुरंदरे के लिखे महानाट्य का निर्देशन योगेश शिरोले ने किया। अपने सशक्त अभिनय से शिवाजी महाराज के पात्र में अभिजीत पाटाने ने दर्शकों को बांधे रखा। राजमाता जिजाबाई के शिवाजी को दिए गए धर्मरक्षण के संस्कारों के संवाद ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। आगरा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में शिवाजी और औरंगजेब का आमना सामना विशेष आकर्षण रहा।