मऊ जिले के सरायलखंसी थाना क्षेत्र के ताजपुर उस्मानपुर गांव में रीता देवी (40) और उनके परिजनों से घर में घुसकर मारपीट के मामले में तत्कालीन एसएचओ शैलेश सिंह समेत 20 पुलिस कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज न करने पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। शुक्रवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट डॉ. केपी सिंह ने वर्तमान एसएचओ पंकज पांडेय को शनिवार को कोर्ट में तलब किया है।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में दाखिल प्रार्थना पत्र के अनुसार रीता देवी का उनके पड़ोसी रामभवन यादव व अन्य से नाली और खड़ंजे को लेकर विवाद था। शिकायत उच्चाधिकारियों से की गई थी लेकिन सुनवाई नहीं हुई। आरोप है कि 23 मार्च 2025 को तत्कालीन एसएचओ समेत 20 पुलिसकर्मी जबरदस्ती पड़ोसी के छत के सहारे घर में घुस गए। पुलिस कर्मियों ने घर में तोड़फोड़ की। गालियां देते हुए बेटी से अभद्रता की।
आरोप लगाया कि पीड़िता को पूरे गांव में घसीटते हुए पुलिसकर्मी थाने ले गए। पीड़िता और उसके परिजनों से जबरन खाली स्टांप पेपर पर हस्ताक्षर कराने का भी प्रयास किया। विरोध पर पिटाई की गई। आरोप है कि मारपीट में गंभीर चोट आने के कारण गर्भपात हो गया था। पिटाई के बाद उसे जेल भेज दिया गया था। बाद में जेल प्रशासन ने हालत गंभीर होने पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया। बाद बीएचयू और इसके बाद पीजीआई में उपचार किया गया।
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