
मनु भाकर
– फोटो : instagram
विस्तार
अपनी 75वीं सालगिरह से स्वर्णिम शताब्दी की ओर बढ़ रहा ‘अमर उजाला’ 26 और 27 फरवरी को लखनऊ में ‘संवाद : उत्तर प्रदेश’ का आयोजन किया। इस मौके पर भारत की स्टार निशानेबाज मनु भाकर दूसरे दिन (मंगलवार) कार्यक्रम का हिस्सा बनीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि जो कुछ भी टोक्यो में हुआ, वह मेरे लिए बुरे सपने से कम नहीं था। उस हार के बाद मैंने एक माह तक पिस्टल नहीं उठाई और गहरे अवसाद में चली गई। फिर सोचा कि मैं इतनी आसानी से हार नहीं मान सकती, क्योंकि हार सबसे बड़ा मोटिवेशन है।
उन्होंने आगे कहा कि जीत के मौके कभी खत्म नहीं होते। यही सोचकर घर पर चाय की केतली उठाकर बिना हिले रोकने (होल्डिंग) का अभ्यास शुरू कर दिया। खुद को पहले की तुलना में मानसिक रूप से मजबूत किया है। कुछ वक्त लगा, पिस्टल उठाई और फिर तैयारियों में जुट गई। टोक्यो में जो लक्ष्य पूरा न कर पाई, उसे पेरिस ओलंपिक में हासिल करने की चुनौती के लिए पूरी तरह से तैयार हूं।
क्लास बंक करके शुरू की शूटिंग
ऐसा नहीं कि मैंने शुरुआत में निशानेबाज के रूप में कॅरिअर बनाने का फैसला किया था। स्कूल के दिनों में क्लास बंक करती थी। कई बार बॉक्सिंग और एथलेटिक्स में हाथ आजमाया। सफलता भी मिली, लेकिन मन नहीं लगा। कुछ दिनों बाद कराटे में भी रुचि पैदा हो गई। स्कूल में शूटिंग की ट्रेनिंग शुरू हुई तो उसमें जाने लगी। जल्द ही नेशनल में खेलने का मौका मिला और स्वर्ण मिल गया। इसके बाद लगा कि निशानेबाजी में कॅरिअर बनाया जा सकता है।
अमर उजाला संवाद मंच के माध्यम से यहां मौजूद सभी अभिभावकों से कहना चाहती हूं कि वे अपने बच्चों को पूरा समय दें, ताकि वे अपनी इच्छा के अनुसार खेल अथवा पढ़ाई में कॅरिअर बना सकें।