लखनऊ। ट्रांसपोर्टनगर में जितना वक्त गुजारें, उतनी ही समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। जर्जर सड़कें, गंदगी को पार कर जब आप बदहाल पार्किंग में पहुंचते हैं तो कई विसंगतियां नजर आती हैं। यहां की पार्किंग में करीब 181 किओस्क जर्जर व बंद पड़े हैं। विडंबना यह है कि जिनके लिए ये सबकुछ तैयार किया गया, वे धूप-छांव झेलते हुए, इधर-उधर भटक रहे हैं।

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आज की कड़ी में हम बात कर रहे हैं ट्रांसपोर्टनगर मैकेनिक एसोसिएशन की। खास बात है कि ट्रांसपोर्टनगर व्यापार मंडल और वेयर हाउस एसोसिएशन के सदस्यों की सबसे बड़ी जरूरत है। बाहर से आने-जाने वाली गाड़ियों की हर चक्कर पर मरम्मत व रखरखाव की जांच करानी ही पड़ती है।

क्या है समस्या, पहले जरा इसे जानें

मोटर मैकेनिक एसोसिएशन के अध्यक्ष जसविंदर सिंह कहते हैं कि हमारा 250 मैकेनिकों का परिवार है। हम लोग पहले आलमबाग मस्जिद के पीछे काम करते थे। वहां नो एंट्री हुई तो हमें ट्रांसपोर्टनगर ले आया गया। इसके बाद हमें कहा गया कि पार्किंग का सौंदर्यीकरण होना है, यहां कीओस्क बनाए जाने हैं। हमें खुले पार्किंग एरिया छह और आठ में शिफ्ट होने के लिए कहा गया। उसके बाद से हम लोग ऐसे ही भटक रहे हैं। कहीं सामान रख दो तो नगर निगम की टीम आकर अतिक्रमण बताकर उसे उठा ले जाती है।

एसोसिएशन के ही सदस्य प्रेमपुजारी, जगदीश प्रसाद पार्किंग छह और आठ का हाल दिखाते हुए कहते हैं कि यहां सिर्फ पार्किंग का बोर्ड लगा है, है कुछ भी नहीं। यहां नियुक्त गार्ड को धूप व बारिश से बचाने के लिए हम लोगों ने प्लास्टिक और बैठने को बेंच दी है।

राजस्व का भी नुकसान

हर गाड़ी की प्रति चक्कर के बाद मरम्मत करवानी ही होती है, रखरखाव जरूरी होता है माल लेकर निकलने से पहले। इस योजना को बसाते वक्त ही यह तय हुआ था कि मोटर मैकेनिकों को यहीं पर स्थायी ठौर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दुकानें किस हाल में हैं, देखा जा सकता है। अपनी संपत्ति का ही नुकसान सरकारी विभाग कर रहे हैं। यदि इन्हीं दुकानों को बेच दें तो सभी को राहत मिलेगी। यहां पार्किंग में कैंटीन का ठेका उठा दें तो भी बाहर से आने-जाने वालों को रहने-खाने का आराम हो जाएगा और क्षेत्र भी संवर जाएगा।

– हरीश कोहली, विधिक सलाहकार, ट्रांसपोर्टनगर व्यापार मंडल व वेयर हाउस ओनर्स एसोसिएशन



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