
अभिजीत ने अपने गीतों पर लोगों को खूब झुमाया।
लखनऊ। घसियारी मंडी स्थित काली बाड़ी मंदिर ट्रस्ट के 161वें स्थापना दिवस की शाम मशहूर गायक अभिजीत भट्टाचार्य के सुरों के नाम रही। वही बुलंद आवाज, वही जोश और वही श्रोताओं को बांधे रखने का दिलकश अंदाज लिए अभिजीत भट्टाचार्य रविंद्रालय के मंच पर आए तो एक से बढ़कर एक नगमों से श्रोताओं का आनंद से भर दिया। मैं कोई ऐसा गीत गाऊं कि आरजू जगाऊं… पर श्रोता झूम उठे।
चारबाग स्थित रविंद्रालय में कार्यक्रम का शुभारंभ उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने किया। उन्होंने ट्रस्ट व बंगाली समाज को शुभकामनाएं दीं। इस दौरान ट्रस्ट के अध्यक्ष अभिजीत सरकार, गौतम भट्टाचार्य, डॉ. देवाशीष व अन्य लोग मौजूद रहे। अभिजीत ने ढाई दशक पूर्व गाए अपने गीत बादशाह मैं बादशाह… से वहां मौजूद दर्शकों को रोमांच से भर दिया। दो पंक्तियां वे गाते तो दो पंक्तियां श्रोता, ये सिलसिला लगातार जारी रहा।
इस दौरान अभिजीत ने कहा कि गूगल कहता है कि मैंने 6000 गाने गाए, अब मैं मुश्किल में हूं कि क्या गाऊं। अभिजीत कुछ इस तरह अगले गाने के लिए श्रोताओं से मुखातिब हुए। फिर मांग आई बड़ी मुश्किल है खोया मेरा दिल है…
44 साल में पूरा हुआ रविंद्रालय में गाने का सपना
कानपुर में जन्मे अभिजीत ने कहा कि जब मैं मुंबई गया तो एक सपना आंखों में था कि रविंद्रालय के मंच पर गाऊं। बोले, 44 साल में यह सपना पूरा हुआ है।
यहां पंच मुंड आसन पर टिकी है मां की मूर्ति
काली बाड़ी टेंपल ट्रस्ट के सदस्यों के मुताबिक, यह मंदिर 161 साल पुराना है। शहर के सिद्ध मंदिरों में से एक है यह मंदिर। हर वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर में देवी काली की बैठी हुई मुद्रा में एक मूर्ति है, जिसकी कल्पना प्रसिद्ध तांत्रिक मधुसूदन ने की थी। यह मूर्ति मिट्टी की बनी है और संपूर्ण विन्यास पंच मुंड आसन पर टिका है।