
पंकज उधास
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
अपनी मखमली आवाज में गाई गजलों से अलीगढ़ के बाशिंदों को मुरीद बनाने वाले पंकज उधास का निधन हर किसी को उदास कर गया। नीरज और शहरयार के शहर में उनकी गजलों के बेशुमार दीवाने थे। यहां के सामईनों ने उन्हें एक-दो बार नहीं, चार बार रूबरू देखा और सराहा था। आखिरी बार वर्ष 2018 में अलीगढ़ की नुमाइश में प्रस्तुति देने आए थे। जब उन्होंने निकलो न बेनकाब, जमाना खराब है…सुनाया। तो पूरा पांडाल झूम उठा था।
जब भी उन्हें अलीगढ़ से बुलावा जाता था तो वह जरूर आते थे। नुमाइश आयोजन से जुड़े लोग बताते हैं कि वे कुल चार बार नुमाइश में आए। जिसमें से तीन मर्तबा उन्होंने कृष्णांजलि नाट्यशाला में प्रस्तुति दी। आखिरी बार 30 जनवरी 2018 की रात कोहिनूर मंच पर चौथी प्रस्तुति दी। इस आयोजन से जुड़े नुमाइश कार्यकारिणी सदस्य विष्णु कुमार बंटी बताते हैं कि कोहिनूर मंच नया नया बना था, तब नुमाइश इंतजामिया के अधिकारियों ने तय किया कि इतने बड़े स्टार की नाइट इस बार कृष्णांजलि के बजाय कोहिनूर मंच पर कराई जाएगी। कोहिनूर मंच पर गजल गायकी का यह हीरा जब गाने उतरा तो फिर लोग उसकी आवाज के जादू में खो गए।
पहले उन्होंने अपनी पसंद से निकलो न बेनकाब जमाना खराब है..गजल पेश की। चांदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल, दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है….हम भी पागल हो जाएंगे …ऐसा लगता है, सबको मालूम है कि मैं शराबी नहीं..फिर भी कोई पिलाए तो मैं क्या करूं, जनता की मांग पर हुई महंगी बहुत ही शराब..कि थोड़ी थोड़ी पिया करो और चिट्ठी आई है…चिट्ठी आई है। लोग देर तक झूमते रहे। मीडिया से भी उनका संवाद हुआ था ।