मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की मियाद दूसरी बार बढ़ने के बाद आकड़ों का खेल शुरू हो गया है। सत्यापन के बाद सात दिन में 1.68 लाख लापता मतदाता बढ़ गए हैं। 11 दिसंबर को नौ विधानसभा क्षेत्रों में 6.78 लाख मृतक, अनुपस्थित, स्थानांतरित और फर्जी मतदाता थे। इनकी संख्या अब 8.46 लाख हो गई है।
जिन मतदाताओं को मृतक, अनुपस्थित, फर्जी और स्थानांतरित सूची में शामिल किया जाएगा, उनका नाम मतदाता सूची से कट जाएगा। जिले की नौ विधानसभा क्षेत्रों में 36.71 लाख मतदाता थे। 11 दिसंबर को निर्वाचन आयोग ने एसआईआर की समय सीमा बढ़ाई थी। 26 दिसंबर तक मतदाताओं को गणना फॉर्म जमा करने का मौका दिया गया है। जिला निर्वाचन कार्यालय का जोर प्राप्त हुए फॉर्मों को डिजिटाइज्ड कराने पर है।
11 दिसंबर तक 27,17,361 फॉर्म डिजिटाइज्ड हुए थे। बुधवार रात तक यह संख्या 27,53,323 हो गई। यानी पिछले सात दिनों में 35,962 मतदाताओं के फॉर्म और डिजिटाइज्ड हुए हैं। डिजिटाइज्ड हुए 27 लाख 53 हजार 323 मतदाताओं में 2095670 मतदाताओं की 2003 की सूची से मैपिंग हो सकी है। सात दिन पहले मैपिंग से 9,25,920 मतदाता वंचित थे। अब यह संख्या घटकर 6.54 लाख रह गई है। जिन मतदाताओं की मैपिंग नहीं होगी। उन्हें सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी द्वारा नोटिस जारी किए जाएंगे। ऐसे मतदाताओं को दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। जिन मतदाताओं के नाम मृतक, अनुपस्थित, फर्जी और स्थानांतरित सूची में शामिल होंगे। उन्हें कोई नोटिस जारी नहीं होगा। उनका नाम सीधे मतदाता सूची से काट दिया जाएगा।
सात दिन में मिले 32 हजार फर्जी मतदाता
एक तरफ लापता मतदाताओं की संख्या पिछले सात दिन में एक लाख से अधिक बढ़ी है। दूसरी तरफ 32 हजार से अधिक फर्जी मतदाता और मिले हैं। 11 दिसंबर तक जहां 66,780 मतदाता नौ विधानसभा क्षेत्रों में फर्जी थे। उनकी संख्या अब 99,124 पहुंच गई है। यह सब निर्वाचन आयोग द्वारा एसआईआर की समय सीमा बढ़ाने के बाद हुआ है। ऐसे में बूथ लेवल आफिसर (बीएलओ) की कार्य प्रणाली पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है।
