Six defence units will change the scene of investment in Uttar Pradesh.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।
– फोटो : BJP@YouTube

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यूपी के औद्योगिक विकास और डिफेंस सेक्टर का गढ़ बनने का रास्ता और मजबूत हो गया है। छह उद्योग समूहों का लैंड पार्सल ब्लॉक कर दिया गया। ये इकाइयां झांसी, लखनऊ और कानपुर में स्थापित होंगी। पहले चरण में ही करीब 3600 करोड़ का निवेश होगा और 10 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा।

बृहस्पतिवार को डिफेंस से जुड़े छह समूहों के निवेश का रास्ता साफ हो गया। पिकप भवन में अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह से ग्लोबल इंजीनियर्स के एमडी डॉ. जीएम गुप्ता, सेरेटेरो इंडिया के एमडी पराग खंडेलवाल, रिक्की स्याल, मनिंदर सिंह सहित छह उद्यमियों ने मुलाकात की। जल्द जमीन मिलने पर इंडस्ट्री लगाने के प्रस्ताव पर मौके पर ही सभी उद्यमियों का लैंड पार्सल ब्लाॅक कर दिया।

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झांसी में डिफेंस का बड़ा निवेश

भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी, भारतीय आयुध निर्माणियां, एचएएल सहित करीब 60 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय समूहों को अपनी सेवाएं दे रही डिफेंस कंपनी ग्लोबल इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड 2400 करोड़ का निवेश झांसी में करेगी। यहां राकेट और गोला बारूद के प्रोपेलेंट तैयार होंगे। हाई कैलिबर जैसे बोफोर्स, टी-72 टैंक के गोला बारूद बनाने के लिए कार्टेज, ट्रिगर और एक्सप्लोजन और प्रोपेलेंट की जरूरत होती है। इनके विस्फोटक और प्रोपेलेंट यहां बनेंगे। राकेट के लिए भी प्रोपेलेंट और रॉकेट फ्यूल भी तैयार होंगे। इसी तरह एक अन्य कंपनी सेरेटेरो इंडिया झांसी में 350 करोड़ के निवेश से एयरक्राफ्ट के पुर्जे तैयार करेगी। इन दो कंपनियों के आने से बुंदेलखंड के 5500 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा। कम से कम 25 नई सहायक इकाइयां यहां लगेंगी।

कानपुर व लखनऊ में चार समूह आए

कैपिटल एयर गन मैन्यूफैक्चर्स लिमिटेड लखनऊ डिफेंस कॉरिडोर में तीन हेक्टेयर की जमीन पर बम शेल (बम के खोल) बनाएगी। ब्रह्मोस के लिए शेल यहां तैयार होंगे। साथ ही राकेट और लड़ाकू विमान से लेकर पनडुब्बी तक की कास्टिंग होगी। ये तकनीक पूरी दुनिया में चुनिंदा कंपनियों के पास है। पहले चरण में 200 करोड़ रुपये का निवेश होगा। वेब्ले बनाने वाले स्याल मैन्यूफैक्चरर्स लखनऊ में दस एकड़ जमीन पर वेब्ले सहित अन्य रिवाॅल्वर के कारतूस का प्लांट बनाएगी। आर्मी और सिविलियन दोनों बोर के कारतूस के अलावा एसाल्ट राइफल्स भी बनेंगी। पहले चरण में 100 करोड़ का निवेश होगा। इसके अलावा जेके सिंथेटिक्स (जेके इंटरप्राइजेज) और नोएडा की एक अन्य कंपनी को भी लखनऊ कॉरिडोर में जमीन दी गई।

ग्लोबल इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन डॉ. गिरीश मोहन गुप्ता का कहना है  कि यूपी में बुनियादी ढांचे में आमूलचूल परिवर्तन और कानून व्यवस्था में बदलाव देख निवेश का फैसला किया। निवेश प्रस्ताव पर तेजी से काम हुआ और लैंड पार्सल मिनटों में ब्लॉक किया गया। जल्द ही झांसी में प्रोपेलेंट का सबसे बड़ा प्लांट लगेगा।

कैपिटल एयर गन मैन्यूफैक्चरर्स के निदेशक रिक्की स्याल का कहना है कि प्रदेश डिफेंस का गढ़ बनेगा। लखनऊ-कानपुर नोड में बम शेल (खोल जिसमें गोरा बारूद भरा जाता है) का हाईटेक प्लांट लगेगा। यहां ब्रह्मोस से लेकर पनडुब्बी तक में इस्तेमाल होने वाले बमों के अलग-अलग शेल बनेंगे। यहां से निर्यात भी होगा और ऐसा करने वाला यूपी पहला राज्य होगा।

वेब्ले स्कॉट मैन्यूफैक्चरर्स के निदेशक मनिंदर सिंह का कहना है कि वेब्ले की रिवॉल्वर और पिस्टल के बाद लखनऊ डिफेंस कॉरिडोर में कारतूस का अत्याधुनिक प्लांट लगाएंगे। यहां वेब्ले सहित सेना और सशस्त्र बलों द्वारा इस्तेमाल होने वाले कारतूसों का उत्पादन किया जाएगा। अदाणी के अलावा कारतूस बनाने वाली ये प्रदेश की दूसरी इकाई होगी।



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