
यूपी के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक।
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आधे-अधूरे इलाज के बाद बेड खाली नहीं होने की बात कहकर मरीज को रेफर करने के मामले में लोहिया संस्थान के छह डॉक्टरों को सात दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के सख्त रुख के बाद यह कार्रवाई की गई है। वहीं, सात अन्य को दो दिनोें के लिए निलंबित किया गया है। संस्थान प्रशासन ने कार्रवाई करके रिपोर्ट शासन को भेजी है।
सीतापुर के अल्लीपुर निवासी दिनेश चंद्र को सांस लेने में तकलीफ पर बुधवार को इमरजेंसी में लाया गया था। दिनेश का ऑक्सीजन लेवल 86 पाया गया था। ब्लड प्रेशर भी असामान्य था। रातभर स्ट्रेचर पर इलाज करने के बाद बृहस्पतिवार दोपहर डॉक्टरों ने बेड खाली नहीं होने की बात कहकर दिनेश को रेफर कर दिया।
मामला सामने आने पर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। संस्थान प्रशासन को एक सप्ताह में जांच करके दोषियों पर कार्रवाई के लिए कहा था। बहरहाल शुरुआती जांच में इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर से लेकर कर्मचारियों तक की लापरवाही सामने आई है। संस्थान प्रशासन ने कार्रवाई करके रिपोर्ट शासन को भेजी है।
किनपर क्या कार्रवाई
इमरजेंसी में तैनात इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के दो डॉक्टर, दो मेडिकल ऑफिसर, दो जूनियर रेजिडेंट (नॉन पीजी) को सात दिनों के लिए निलंबित किया गया है।
– दो सोशल वर्कर, दो गार्ड व तीन अन्य को दो दिनों के लिए निलंबित किया गया है। मामले की गहनता से जांच कराई जा रही है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विक्रम सिंह ने बताया 13 लोगों पर कार्रवाई हुई है। मामले की जांच के लिए कमेटी गठित है। कमेटी
एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपेगी।
इलाज में न बरतें कोताही
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि डॉक्टर मरीजों के इलाज में किसी भी तरह की कोताही न बरतें। अधिकारी इमरजेंसी व वार्ड का नियमित राउंड लें। कमियों को दूर करें। मरीजों के हित में कदम उठाएं।
सख्ती के बाद भी सुधार नहीं, फिर लौटाया मरीज
कार्रवाई के बावजूद लोहिया संस्थान की इमरजेंसी से शुक्रवार को भी मरीज को लौटाने का मामला सामने आया। मामले के अनुसार सीवान (बिहार) के परशुराम प्रसाद का बेटा अमरेंद्र कुमार (35) कुशीनगर तमकुहीराज में बिजली विभाग में कार्यरत है। अमरेंद्र को फालिज का अटैक पड़ गया। बृहस्पतिवार रात मरीज को लोहिया संस्थान भेजा गया। भाई सुमन कुमार ने बताया कि रात 12:20 बजे स्ट्रेचर पर मरीज का इलाज शुरू हुआ।
सुबह अमरेंद्र को ओपीडी भेज दिया गया। वहां डॉक्टर ने भर्ती करने की सलाह दी। फिर उन्हें इमरजेंसी में भेज दिया गया। इमरजेंसी के डॉक्टरों ने मरीज को भर्ती नहीं किया। 15 घंटे से अधिक बीत जाने के बाद भी मरीज को भर्ती नहीं किए जाने से नाराज परिजन उसको लेकर निजी अस्पताल चले गए। मामले में संस्थान के प्रवक्ता डॉ. एपी जैन का कहना है कि मरीज को इमरजेंसी में इलाज मिला था। वहां से ओपीडी भेजा गया था। जहां तक भर्ती नहीं किए जाने का सवाल है, तो इसकी जांच हो रही है।