शनिवार की दोपहर बाद खदान में ड्रिलिंग के दौरान चट्टान गिरने से मजदूर मलबे में दब गए थे। इनकी संख्या 15 बताई जा रही है। हादसे के बाद पुलिस-प्रशासन की निगरानी में एनडीआरएफ-एसडीआरएफ की टीमें पिछले 48 घंटे से राहत कार्य में जुटी हुई हैं। सोमवार की सुबह पांच बजे तक चार शव मलबे से निकाले गए, जबकि शाम करीब आठ बजे दो शव और मिले।
खदान के मलबे से निकाले गए पनारी गांव के करमसार टोला निवासी इंद्रजीत यादव (32) और संतोष यादव (30) सगे भाई थे। कोन के पिपरखाड़ गांव के परसवा निवासी रविंद्र उर्फ नानक और पनारी के खड़री टोला निवासी रामखेलावन (40), ग्राम परसोई के टोला जकहवा निवासी गुलाब उर्फ मुंशी की भी मौत हो गई। छठवें शव की अभी तक शिनाख्त नहीं हो पाई है। दूसरी तरफ, जिले के प्रभारी मंत्री रवींद्र जायसवाल पोस्टमार्टम हाउस पहुंचकर परिजनों से शोक संवेदना व्यक्त की और कहा कि हादसे में मृत सभी मजदूरों के परिजनों को 20.55 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
जिस खदान में हादसा हुआ, उसकी स्थिति की जांच के लिए पिछले वर्ष छह अफसरों की टीम ने दौरा किया था। खान सुरक्षा, यूपीपीसीबी, खनन और प्रशासन की संयुक्त टीम ने एक-एक बिंदु की जांच के बाद जो रिपोर्ट सौंपी थी, उसमें सुरक्षा उपकरणों का उपयोग और बेंच बनाकर खनन का दावा करते हुए संचालकों को क्लीन चिट दे दी गई थी।
हादसा इतना भयावह था कि शव देखने वालों के रोंगटे खड़े हो गए। मजदूरों के शरीर के चिथड़े उड़ गए थे। शव इतने क्षत-विक्षत थे कि उनकी पहचान करना भी मुश्किल रहा। काफी देर तक परिजन चिथड़ों में अपनों को तलाशते रहे। किसी की पहचान हाथ में बंधे कलावा और गोदना से हुई तो किसी को उसके कपड़ों से पहचाना गया। अलग-थलग पड़े शरीर के अंगों को सहेजकर किसी तरह पोस्टमॉर्टम कराया गया। फिर कपड़े में लपेटकर अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को सौंपा गया।
