हत्या से तीन माह पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी इलाहाबाद (अब प्रयागराज) आई थीं। यह उनका निजी दौरा था। आनंद भवन में कुछ पुराने कार्यकर्ताओं से मुलाकात के बाद उनके पांच घंटे आनंद भवन के तहखाने में बीते। वहां दर्जनों अलमारियां और बक्से रखे थे। वह कई अलमारियां और बक्से साथ ले गईं लेकिन यह आज भी राज है कि उनमें क्या था।
                                
                                
                                
                                
                                
                                
                                
                वर्ष 1970 में आनंद भवन को जब जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल ट्रस्ट बनाया गया तो तहखाने को छोड़ बाकी संपत्ति ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दी गई और तहखाने की देखरेख की जिम्मेदारी और उसकी चाबी मुंशी कन्हैया लाल को सौंप दी गई। नेहरू परिवार के करीबी रहे कन्हैया लाल 1934 से 1984 तक स्वराज भवन और आनंद भवन के केयरटेकर रहे।
                                
                                
                                
                                
                                
                                
                                
                कन्हैया लाल के दामाद व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्याम कृष्ण पांडेय बताते हैं कि सुबह 11 बजे बमरौली एयरपोर्ट पर इंदिरा गांधी का विमान उतरा था और वहां से सीधे आनंद भवन आईं। सुबह 11:30 से 12:00 बजे तक कार्यकर्ताओं से मिलीं। इसके बाद मुंशी कन्हैया लाल को साथ लेकर तहखाने में गईं। वहां नेहरू परिवार के सदस्यों के नाम से अलग-अलग कई अलमारियां और बक्से रखे हुए थे और सभी पर ताले लगे थे। इंदिरा गांधी वहां पांच घंटे तक रहीं। अलमारियों और बक्सों को खुलवाकर देखा।