बहराइच के महसी तहसील क्षेत्र के 50 से अधिक गांवों में आतंक का पर्याय बने भेड़ियों ने दहशत के मामले में बाघ व तेंदुओं को भी पीछ़े छोड़ दिया है। इस साल जनवरी माह से अब तक तेंदुओं ने चार को निवाला और 17 लोगों को घायल किया है, लेकिन भेड़ियों ने नौ लोगों को निवाला तो वहीं 35 से अधिक लोगों को घायल कर दिया। 

17 जुलाई से 28 अगस्त के बीच ही सात बच्चों को मारा तो 25 को घायल कर दिया। महसी तहसील के हरदी थाना क्षेत्र में तबाही मचाने के साथ ही अब भेड़िया खैरीघाट क्षेत्र में भी सक्रिय हो गए हैं। दहशत का आलम यह है कि हरदी व खैरीघाट से सटे अन्य क्षेत्रों के ग्रामीणों की भी नींद हराम हो गई है।

 




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सिस्टम को नचा रहे खूनी भेड़िये

अभी तक के हालात को देखें तो मात्र चार से छह भेड़िये ही पूरे सिस्टम पर भारी पड़ रहे हैं। 17 जुलाई को हुए हमले के बाद से जिला प्रशासन, पुलिस व वन विभाग लगातार भेड़ियों को पकड़ने व हमले रोकने का दावा कर रहा है, लेकिन सफलता नहीं मिल रही है। 

 


मुख्य वन संरक्षक व वन राज्यमंत्री ने सिर्फ तीन भेड़ियों के होने का दावा किया है। यही तीन भेड़िये बीते 41 दिनों से 32 राजस्व टीमों, 200 से अधिक पुलिसकर्मियों, मंडलीय समेत 10 से अधिक वन टीमों को चकमा दे रहे हैं और लगातार स्थान परिवर्तन कर उन्हें नचा रहे हैं।


मादा भेड़िया के पकड़े जाने के बाद बढ़े हमले

वन विभाग ने तीन अगस्त को एक मादा भेड़िया को पकड़ा था। वन प्रभाग लाते समय उसकी मौत हो गई। इसके बाद भेड़ियों के हमले तेजी से बढ़े। वहीं इसके बाद आठ अगस्त को एक नर व 18 को एक मादा भेड़िया को भी वन विभाग ने पकड़ा, लेकिन हमलों में कोई कमी नहीं आई। हमले बढ़ते ही गए। इसके बाद ग्रामीण झुंड की मुखिया के मौत के बाद बदला स्वरूप हमला करने की भी बात कह रहे हैं।

 


स्पेशल टास्क फोर्स, ड्रोन-ट्रैप कमरे भी असहाय

भेड़ियों को पकड़ने के लिए बाराबंकी के डीएफओ आकाशदीप बधावन को स्पेशल टास्क फोर्स के रूप में बुलाया गया। इसके बाद भी भेड़ियों ने रीता देवी, अयांश को निवाला बना लिया और तीन मासूम सहित चार को घायल किया। यही नहीं, भेड़ियों के आगे वन विभाग की ओर से लगाए गए 10 ट्रैप कैमरे, जाल, पिंजरा व ड्रोन कैमरे भी असहाय नजर आ रहे हैं।

 




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