
वायु प्रदूषण
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फ्रिज, टीवी, एसी की तरह कारों में भी स्टार रेटिंग हो, लेकिन यह कारों के माइलेज के आधार पर तय किए जाएं। सेफ्टी के स्टार रेटिंग की तरह ही माइलेज की रेटिंग हो ताकि प्रदूषण कम हो सके। इस पर आगरा के पर्यावरणविद और चिकित्सक डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की है, जिसमें मंत्रालयों को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब मांगा गया है। 10 जनवरी 2025 को इस मामले में अगली सुनवाई होगी।
एनजीटी में शुक्रवार को जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, एक्सपर्ट मेंबर अफरोज अहमद, ज्यूडिशियल मेंबर अरुण त्यागी की बेंच के सामने डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ ने याचिका नंबर 638/2024 दायर की। सुनामी ऑन रोड्स एनजीओ की ओर से डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ ने ईंधन दक्षता के आधार पर कारों की स्टार रेटिंग प्रणाली लागू करने की मांग की, जिसमें 1 से 5 तक स्टार दिए जाएं। डॉ. कुलश्रेष्ठ ने बताया कि वाहनों की स्टार रेटिंग प्रणाली सभी विकसित देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, वियतनाम, सिंगापुर, थाईलैंड आदि में पहले से है। भारत में भी ऊर्जा आधारित स्टार रेटिंग रेफ्रिजरेटर, एसी के लिए है तो ऑटोमोबाइल के लिए क्यों नहीं।
2016 में ड्राफ्ट हुआ गजट, लागू नहीं हुआ
डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ ने याचिका में कहा है कि वाहनों की स्टार रेटिंग का प्रस्ताव 2009 में तैयार किया गया। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 7 जनवरी 2016 को गजट का ड्राफ्ट जारी किया। इसके मुताबिक अप्रैल 2016 के बाद निर्मित 3500 किलोग्राम से अधिक वजन वाली यात्री कारों में एक से पांच स्टार तक फ्यूल इकोनॉमी स्टार रेटिंग (एफईएसआर) का लेबल होना चाहिए। मगर, यह लागू नहीं की गई। उन्होंने प्रदूषण में कमी लाने के लिए इसे जरूरी बताया।
पर्यावरण याचिकाओं के लिए चर्चित हैं डॉ. कुलश्रेष्ठ
भारत में प्रदूषण मानकों की सख्ती और पुराने वाहनों से हो रहे प्रदूषण पर डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ ने सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी में उन्होंने कई याचिकाएं दायर की, जिनमें हुए आदेशों के बाद पुराने वाहनों को सड़क से हटाया गया। बीएस-6 वाहनों को लाने में उनकी बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने याचिका में एक अध्ययन का हवाला दिया है कि भारत में प्रदूषण से 11 लाख मौतें हर साल हो रही हैं। इसमें परिवहन क्षेत्र से हो रहे पीएम-2.5 का 41 फीसदी उत्सर्जन हो रहा है।