मैंने कॉलेज में फीस जमा की थी, लेकिन सिस्टम में फीस पेंडिंग दिखा रही थी। कई बार सही करवाने का प्रयास किया, पर कुछ नहीं हो पाया। मुझे प्रैक्टिकल, एग्जाम देने से रोक दिया गया। मेरे दोस्त पता नहीं क्या-क्या सोचेंगे? जिंदगी से परेशान होकर ऐसा काम करने जा रहा हूं, सभी लोग मुझे माफ करना।
दो पन्ने के सुसाइड नोट में ऐसा लिखकर बी-फार्मा के छात्र शुभम कुमार (25) ने बृहस्पतिवार को चिनहट स्थित समर्पण कॉलेज के हॉस्टल में फंदा लगाकर जान दे दी।
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इंस्पेक्टर चिनहट दिनेश चंद्र मिश्र ने बताया कि मूल रूप से रायबरेली के दुधवन निवासी शुभम अपट्रॉन इलाके के समर्पण कॉलेज ऑफ फार्मेसी में बी-फार्मा चौथे वर्ष के छात्र थे। बृहस्पतिवार को उनका प्रैक्टिकल था। कॉलेज प्रशासन ने 22 हजार रुपये फीस न जमा होने से उन्हें प्रैक्टिकल देने से रोक दिया।
इसके बाद शुभम हॉस्टल के कमरे में आ गए। शिक्षक ने कॉल किया तो जवाब नहीं मिला। इस पर साथियों को शुभम के कमरे में जाकर देखने के लिए कहा। साथी प्रभात, आकाश और श्रीकांत हॉस्टल पहुंचे तो शुभम का कमरा नंबर 109 अंदर से बंद था। काफी खटखटाने पर जवाब नहीं मिला तो साथियों ने दरवाजा तोड़ दिया। देखा शुभम पंखे से रस्सी के सहारे लटक रहे थे।
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सुसाइड नोट जांच के लिए भेजा
इंस्पेक्टर ने बताया कि छानबीन में के लिए फॉरेंसिक टीम को बुलाया गया। शुभम के परिजनों को सूचना दे दी गई है। उनके तहरीर के आधार पर केस दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। सुसाइड नोट को जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेजा गया है।
साथियों ने किया विरोध
शुभम के आत्महत्या करने की खबर मिलते ही काफी संख्या में छात्र हॉस्टल के बाहर जमा हो गए और प्रबंधन का विरोध करने लगे। हॉस्टल वार्डन और अन्य अधिकारियों ने उन्हें शांत कराया। छात्रों ने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उधर, समर्पण ग्रुप के चेयरमैन डॉ. आरएस दुबे का कहना है कि शुभम की फीस जमा थी। नो ड्यूस प्रक्रिया के लिए लेखा विभाग ने रसीद मांगी थी। छात्र रसीद लेने के लिए हॉस्टल गया। शायद इसी कारण वह मानसिक दबाव में आ गया और यह कदम उठा लिया। प्रबंधन घटना को अत्यंत गंभीरता से ले रहा है। जांच में लेखा कार्यालय या किसी अन्य कर्मचारी की कोई गलती, लापरवाही या अमानवीयता सामने आती है तो उसे तत्काल बर्खास्त किया जाएगा।