
सोनिया शर्मा और कैलाश
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कलम तो ढंग से पकड़ नहीं सकता, गेंद-बल्ला क्या चलाएगा। दो हाथ से तो निशाना साध नहीं पाते, तेरा तो एक ही है। ऐसे ताने हृदय में शूल की तरह चुभते। आए दिन ऐसा होने पर मन में निराशा घर कर रही थी। पर, ठान लिया कि सफलता ही इनका जवाब है। फिर क्या… हौसले फौलादी किए, संघर्ष को पंख बनाया और सफलता को छू लिया।
ऐसे ही आगरा के होनहार दिव्यांग खिलाड़ी सोनिया शर्मा और कैलाश प्रसाद हैं। उन्होंने अपनी दिव्यांगता को कमजोरी नहीं समझा। लक्ष्य पाने के लिए दोगुने जोश से अभ्यास किया। कैलाश ने भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम की कमान संभाली तो सोनिया ने निशाना लगाकर देश-विदेश में सोने के तमगे जीते।