लखनऊ। विद्यार्थियों को चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के फायदे कागज पर अधिक और व्यवहार में कम नजर आ रहे हैं। शायद यही वजह है कि प्रवेश प्रक्रिया बीतने की कगार पर है लेकिन अभी तक लखनऊ विवि से संबद्ध कॉलेजों में चौथे वर्ष में प्रवेश के लिए कोई आवेदन नहीं आया है।

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लखनऊ विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला देश का पहला संस्थान है। ऐसे में यहां इसकी सफलता और छात्रों में रोचकता को लेकर उम्मीदें ज्यादा हैं। लविवि और संबद्ध कॉलेजों में चौथे वर्ष में दाखिले का यह पहला सत्र है। स्नातक चौथे वर्ष की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को पीएचडी में सीधे प्रवेश देने का दावा किया गया, लेकिन अभी तक यह व्यवहार में नहीं आया है। पीएचडी में सिर्फ दो वर्षीय परास्नातक डिग्रीधारकों को ही दाखिला मिल रहा है।

यूजीसी की ओर से भी अभी तक इस बारे में कोई भी स्पष्ट निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। पीएचडी ही नहीं अभी तक किसी भी नौकरी की अर्हता में भी चार वर्षीय स्नातक डिग्री को शामिल नहीं किया गया है। विद्यार्थी ही नहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन को भी इन संशोधनों का इंतजार है। यही वजह है कि अभी तक स्नातक चौथे वर्ष में दाखिले के लिए विद्यार्थियों में रुचि नहीं दिखाई दे रही है।

एक और दो वर्षीय पीजी का विकल्प

नई शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थी को एक वर्षीय और दो वर्षीय दोनों तरह से परास्नातक करने का विकल्प दिया गया है। ऐसे में विद्यार्थी पुरानी व्यवस्था के साथ खुद को ज्यादा संतुष्ट महसूस कर रहा है। जबकि चार वर्षीय स्नातक कर लेने के बाद उसके पास एक वर्षीय परास्नातक करने का मौका रहेगा। ऐसे में उसके सामने सवाल है कि जब यूजी-पीजी में कुल पांच वर्ष पढ़ाई करनी है तो वह 3+2 का ही विकल्प चुने। 4 +1 का विकल्प विद्यार्थियों का बिल्कुल नया और कठिन मालूम पड़ रहा है।



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