
प्रतीकात्मक तस्वीर
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सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ स्वत: संज्ञान मामला बंद कर दिया, जिसमें लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग को एक महिला की कुंडली का अध्ययन करने का निर्देश दिया गया था। ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह मांगलिक है या नहीं।
हाईकोर्ट ने शादी के बहाने एक महिला से दुष्कर्म के आरोपी व्यक्ति की जमानत याचिका पर फैसला करते हुए यह आदेश पारित किया था। दुष्कर्म के आरोपी ने बचाव में दलील दी थी कि महिला के मांगलिक होने के कारण शादी नहीं हो सकती।
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सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ को मंगलवार को शिकायतकर्ता के वकील ने सूचित किया कि आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है, इसलिए शीर्ष अदालत के समक्ष कार्यवाही निरर्थक हो गई है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को बंद कर दिया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने आरोपी गोविंद राजू की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान 23 मई को लखनऊ विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष (ज्योतिष विभाग) को यह निर्देश दिया था कि वह 10 दिनों के भीतर ‘कुंडली’ की जांच करें और यह पता लगाएं कि कथित दुष्कर्म पीड़िता मांगलिक है या नहीं। लड़की के वकील ने उस दावे से इनकार किया था, जिसके बाद हाईकोर्ट ने उसकी कुंडली की जांच का आदेश दिया था।