
स्ट्रेचर न होने से परेशान मरीज
– फोटो : amar ujala
मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी सेवाएं वेंटिलेटर पर
स्ट्रेचर नहीं मिली तो महिला को गोद में लेकर पहुंचे परिजन, गंभीर मरीज को लगाए गए दोनों वेंटिलेटर निकले खराब
अमर उजाला ब्यूरो- नीरज वर्मा
झांसी। रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज इलाज के लिए पहुंचने वाले गंभीर मरीजों की स्थिति को देखकर ऐसा लगता है कि यहां की इमरजेंसी सेवाएं खुद वेंटिलेटर पर हैं। शनिवार की दोपहर 1:20 से 1:45 बजे तक अमर उजाला टीम के सामने आए तीन मामलों से समझा जा सकता है कि यहां मरीजों को किस प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इन तीन केसों के जरिए समझा जा सकता है कि मेडिकल कॉलेज में किस प्रकार सिस्टम बेपरवाह बना हुआ है।
केस-1
तालपुरा निवासी कल्पना (20) घर में काम के दौरान पहली मंजिल से अचानक गिरने पर अचेत हो गई। परिजन उसे अचेतावस्था में ऑटो से मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में लेकर पहुंचे। ऑटो में कल्पना की उल्टी होने के साथ तबियत ज्यादा बिगड़ गई। परिजनों ने इमरजेंसी में काफी देर तक स्ट्रेचर की तलाश की। तब स्ट्रेचर नहीं मिला तो परिजन उसे गोद में लेकर इमरजेंसी में पहुंचे। इस दौरान इमरजेंसी के अंदर सिर्फ एक ही स्ट्रेचर था। उस पर ऑपरेशन थियेटर के बाहर घायल रोगी लेटा हुआ था।
केस-दो
टोड़ीफतेहपुर के मातादीन का 17 जुलाई को पेट का ऑपरेशन हुआ। चिंताजनक हालत में उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। शनिवार को उनकी मौत हो गई। चिकित्सकों की ओर से उसे मृतक घोषित करने के बाद परिजन कागजात बनवाने के लिए एक घंटे तक कभी ईएमओ तो कभी डॉक्टरों के यहां चक्कर काटते रहे मगर कहीं सुनवाई नहीं हुई। परिजनों ने आरोप लगाया कि ऑपरेशन के बाद कोई भी सीनियर डॉक्टर देखने तक नहीं आया सिर्फ जूनियर डॉक्टर ही उपचार करते रहे। अब कागजात बनवाने में दिक्कत आ रही है।
केस-तीन
आग से झुलसे जतारा निवासी राजेश (58) को परिजन एंबुलेंस से लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे। परिजन और एंबुलेंस चालक इमरजेंसी में उपचार कराने के लिए करीब एक घंटे तक भटकते रहे। भतीजे सचिन गुप्ता ने बताया कि किसी तरह से खानापूर्ति करके राजेश को एंबुलेंस से उतारकर ले गए। डॉक्टरों ने दो वेंटिलेटर लगाए मगर दोनों खराब निकले। तीसरा वेंटिलेटर लगाया गया मगर तब तक हालत बिगड़ गई। इमरजेंसी में इलाज की व्यवस्था देख परिजन उसे दूसरी जगह इलाज कराने लेकर चले गए।
वर्जन
यहां स्ट्रेचर की कमी पूरी नहीं हो सकती है। जले हुए मरीज को सुपरस्पेशियेलिटी ब्लॉक में भेजा गया था। इसलिए इमरजेंसी के बाहर एंबुलेंस में मरीज को इंतजार करना पड़ा। मृत मरीज के परिजन कागजात के लिए अपने किसी परिचत की इंतजार कर रहे थे। – डा. सचिन माहुर, सीएमएस, मेडिकल कॉलेज
0- खामी ढकने की ड्यूटी कर रहे सिक्योरिटी गार्ड
इमरजेंसी के गेट पर ड्यूटी करने वाले सिक्योरिटी गार्ड की ड्यूटी सुरक्षा व्यवस्था व वाहनों को व्यवस्थित लगवाने की है मगर वह ऐसे नहीं करते। इमरजेंसी के गेट पर वाहनों का जमावड़ा लगा रहता है, जिसे व्यवस्थित नहीं करवाते। जिसकी वजह से एंबुलेंस से आने वाले रोगियों को उतारने में काफी दिक्कत होती है। शनिवार को महिला को गोद में उठाने की फोटो खींचने पर सिक्योरिटी गार्ड ने कड़ी आपत्ति जताई। उसने स्पष्ट रूप से कहा कि अफसरों ने आदेश दिए हुए हैं कि कोई भी गेट अथवा आसपास फोटो नहीं खींचे, इस पर ही ध्यान देना है।