
मुहर्रम
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
मुहर्रम पर ताजियों को मातमी जुलूस के साथ जियारत के लिये इमामबाड़ो पर ले जाया गया। यह सिलसिला रात भर चला। मुहर्रम मुस्लिम समुदाय का विशेष पर्व है, जिसे नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम इस्लाम धर्म का पहला महीना होता है, जिसकी शुरुआत 7 जुलाई 2024 से हो चुकी है। माना जाता है कि मुहर्रम को बकरीद के 20 दिन बाद मनाया जाता है। भारत में मुहर्रम मनाने की तिथि हमेशा चांद निकलने पर तय की जाती है। इस माह को रमजान की तरह पाक माना गया है।
मुहर्रम महीने का 10वां दिन मुस्लिम समुदाय के लिए बेहद खास होता है, इसे आशूरा के रूप में मनाया जाता है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार इस तारीख को हजरत इमाम हुसैन की शहादत के रूप में मातम के तौर पर मनाते हैं। इस दौरान देशभर में जुलूस निकाले जाते हैं। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार मुहर्रम को नव वर्ष के रूप में मनाते हैं। लेकिन कुछ लोग इसे गम का महीना मानते हैं।
दरअसल, इस माह की 10वीं तारीख को यौम-ए-आशूरा के नाम से जाना जाता है। ये तारीख कोई साधारण नहीं हैं। इस दिन हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। उनकी याद में मोहर्रम के 10वें दिन को लोग मातम के रूप में मनाते हैं, जिसे आशूरा कहते हैं।