हाथरस में सासनी के गांव तिलौठी के 10 वर्षीय कुलदीप का शव 7 नवंबर सुबह गांव पहुंचा तो उसका 12 वर्षीय बड़ा भाई उमंग बदहवास हो गया और रोने लगा। इधर, घायल मां को भी यह नहीं पता है कि उसका लाड़ला कुलदीप अब इस दुनिया में नहीं रहा है।

गौरतलब है कि सासनी के गांव समामई के निकट बृहस्पतिवार को बृहस्पतिवार टैंकर की टक्कर से रोडवेज बस पलटने से हुए हादसे ने कई घरों की खुशियां छीन लीं। मरने वालों के परिवार सदमे में हैं। कोई अपने पिता की याद में बिलख रहा है तो कोई बेटे की। गांव तिलौठी निवासी ओमप्रकाश गांव में ही मजदूरी करते हैं। उनका बड़ा बेटा उमंग कक्षा पांच का छात्र है, जबकि छोटा बेटा कुलदीप कक्षा तीन में पढ़ता था। दोनों भाई साथ में गांव के ही प्राइवेट स्कूल में जाते थे। कई दिनों से कुलदीप के पेट में दर्द था। कोई लाभ न मिलने पर मां बबली उसे बृहस्पतिवार को अलीगढ़ लेकर गईं थीं।

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वहां से दवा दिलाकर दोनों लौट रहे थे। हादसे में कुलदीप की मौत हो गई, जबकि बबली सिर की चोट के कारण गंभीर रूप से घायल हैं। रात को ही उन्हें अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया था। पिता ओमप्रकाश पत्नी के साथ मेडिकल कॉलेज में थे। रिश्तेदारों ने औपचारिकताएं पूर्ण कीं, तब कहीं शुक्रवार की सुबह बच्चे के शव का पोस्टमार्टम हो सका।

गांव तिलौठी में शव पहुंचने के बाद बिलखते परिजन

गांव में शव पहुंचा तो बड़े भाई उमंग को जानकारी हुई कि उसका भाई नहीं रहा। उमंग भाई की यह हालत देख बदहवास हो गया। घर पर केवल रिश्तेदार थे, उन्होंने ही उसे संभाला। वहां मां को याद कर घर बुुलाने की मांग करने लगा। रोते-रोते उमंग कहने लगा कि मैं अब स्कूल किसके साथ जाऊंगा, किसके साथ खेलूंगा। बड़े भाई उमंग ने रिश्तेदारों के सहयोग गांव में शव का अंतिम संस्कार किया। परिजनों ने बताया कि बबली को अभी होश नहीं आया है, उन्हें भी नहीं पता कि अब कुलदीप नहीं रहा। वह बच्चे का मुंह तक नहीं देख सकीं। परिवार की हालत देख आस-पड़ोसियों की आंखों में भी आंसू दिखे।

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सीपीआर नहीं बचा सकी जान

अचेत में अवस्था में ही मां बबली व बेटे कुलदीप को सीएचसी लाया गया था। अस्पताल लाते समय ही कुलदीप की सांसें बंद हो गई थीं। तीन से चार मिनट तक पैरामेडिकल स्टाफ ने सीपीआर देकर उसकी धड़कन शुरू कराने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्चे की मौत का कारण सिर में चोट लगने से ब्रेन हेमरेज से होना आया है।



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