संवाद न्यूज एजेंसी
झांसी। जीएसटी विभाग ने टैक्स चोरी का बड़ा मामला पकड़ा है। झांसी के एक ठेकेदार ने कागजों पर करोड़ों रुपये के टायर की खरीद दिखा कर लाखों रुपये के टैक्स की चोरी करने का प्रयास किया है। ठेकेदार द्वारा दाखिल किए गए रिटर्न के ऑडिट में उसकी चोरी पकड़ी गई है। अब विभाग कागजों पर टायर बेचने वाले व्यापारी और ठेकेदार पर शिकंजा कस रहा है।
अगस्त में जीएसटी विभाग के अधिकारियों ने ठेकेदार द्वारा भरे गए रिटर्न के दस्तावेज खंगाले तो ठेकेदार की कलई खुल गई। उसने टैक्स चोरी के लिए साढ़े तीन कराेड़ रुपये के टायरों की खरीद दिखाई है। साथ ही ठेकेदार ने इन दस्तावेज के आधार पर ही आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) में 65 लाख रुपये के जीएसटी का गबन कर लिया। यह मामला तब खुला जब राज्य वस्तु एवं सेवा कर विभाग ने टर्नओवर से कम रिटर्न दाखिल करने वाली फर्माें की गहराई से जांच की।
दस्तावेज खंगालने में विभाग के भी होश उस समय फख्ता हो गए, जब ठेकेदार ने अपने दस्तावेज में यह उल्लेख किया कि उसने सड़क निर्माण के काम के दौरान मात्र एक साल में 3.50 करोड़ रुपये के टायर खरीदे हैं। व्यापारी ने भी दूसरों के बिल ठेकेदार के नाम फाड़े। ठेकेदार ने जिस व्यापारी से टायर खरीद दिखाई है, उस व्यापारी को भी जीएसटी अधिकारियों ने संदेह के घेरे में रखा और उसके पूरे साल के व्यापार की बारीकी से समीक्षा की। दस्तावेज खंगालने के दौरान विभाग ने पाया कि टायर विक्रेता ने उस तिथि में टायर की बिक्री नहीं दिखाई, जिस तिथि में ठेकेदार खरीद दिखा रहा है। इसके बाद यह भी स्पष्ट हो गया कि टायर के व्यापारी ने उन लोगों के बिल ठेकेदार को दिए हैं, जिन लोगों ने दो-चार टायर खरीद थे।
इसलिए किया टायर खरीद का खेल
टायर की खरीद पर सरकार ने 28 प्रतिशत जीएसटी निर्धारित की है। हालांकि, कृषि वाहन और साइकिल पर यह दर 12 प्रतिशत होती है। वहीं, गिट्टी और बालू पर यह टैक्स 18 प्रतिशत की दर से देना होता है। ऐसे में ठेकेदार ने टायर की खरीद दिखाकर टैक्स बचाने की यह स्कीम लगाई थी कि वह विभाग को यह बता देगा कि उसने 3.50 करोड़ रुपये के टायरों पर पहले ही 28 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान कर दिया है। इससे उसे 65 लाख रुपये की आइटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का लाभ मिल जाएगा।
वर्जन
सड़क निर्माण करने वाली एक फर्म ने रिटर्न दाखिल कर यह घोषणा की थी कि उसने एक साल में 3.50 करोड़ रुपये के टायर खरीदे हैं। यह सामान्यता संभव नहीं है। इसके बाद पूरे मामले की बारीकी से जांच करने पर टैक्स चोरी का मामला पकड़ा गया है। – एके सिंह, एडिश्नल कमिश्नर ग्रेड 2 एसआइबी।
वर्जन
मामला पकड़े जाने के बाद हमने ठेकेदार और टायर विक्रेता के प्रतिष्ठान पर भी सर्वे किया है। इसमें मामला साफ हो गया कि टायरों की बिक्री और खरीद टैक्स चोरी के उद्देश्य से दिखाई गई है। अन्य टायर विक्रेता और ठेकेदारों के दस्तावेज भी खंगाले जा रहे हैं। – पुनीत अग्निहोत्री, डिप्टी कमिश्नर एसआईबी