
पुलिस गिरफ्त में आरोपी
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कम समय में करोड़ों कमाने के चक्कर कर चोरी के गोरखधंधे में शामिल गुर्गों ने छह महीने में ही करीब चालीस करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम इधर से उधर करा दी। चूंकि बचत खातों में ज्यादा रकम का लेनदेन होने पर बैंक और जांच एजेंसियाें की नजर में आ जाती थीं, इसलिए आरोपी जरूरतमंद लोगों को तलाशकर उनके नाम पर पहले फर्जी फर्म के दस्तावेज बनवाते। इस काम को शास्त्रीनगर निवासी खन्ना उर्फ सनी करता। अनिल उन दस्तोवजों के जरिये संबंधित जिले में एक दुकान या कार्यालय खोलकर उसके आधार पर कई-कई बैंकों में करंट अकाउंट खुलवाते। फिर उन खातों में करोड़ों रुपये का लेनदेन होता था। इन खातों के लिए उन्हें प्रति खाते के हिसाब से मोटा कमीशन मिलता था। उसमें से कुछ पैसा खाता धारक को दिया जाता था। मुख्य सरगना डेनियल और एलेक्स बैंक खातों की जानकारी रतनलालनगर निवासी जतिन गलानी उर्फ जीतू से टेलीग्राप एप के जरिये हासिल कर लेते ताकि ऑनलाइन बैंकिंग की जा सके। फिर सौरव ऐसे माबाइल और उन सिमों को एक्टिव करता जो करंट बैंक खातों से लिंक हैं। जिन खातों में रकम आती, सिर्फ उन्हें ही एक्टिव किया जाता।