
प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : ANI
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बच्चों को टीबी जैसी बीमारी से बचाने के लिए जन्म के बाद ही बीसीजी का टीका दिया जाता है। इसके बावजूद देश में टीबी के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं। जल्द ही अब वयस्कों के लिए भी टीबी का टीका मौजूद होगा। एम्स दिल्ली में इसका ट्रायल चल रहा है। एम्स दिल्ली के पूर्व निदेशक प्रो. रणदीव गुलेरिया ने रेस्पिरेटरी एंड क्रिटिकल केयरल अपडेट के दौरान यह जानकारी दी। कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने किया।
प्रो. रणदीव गुलेरिया ने बताया कि यह वैक्सीन आमजनों के साथ ही विशेषरूप से टीबी पीड़ित मरीज के परिजनों को देने के काम आएगी। इससे टीबी का प्रसार रोकने में मदद मिलेगी। प्रो. गुलेरिया ने बताया कि विभिन्न बीमारियों की पहचान में अब तेजी आई है। पहले इसमें कई दिन लगते थे। विशेषकर कल्चर जांच के दौरान, लेकिन अब पीसीआर किट के माध्यम से महज कुछ घंटे में ही बीमारी का पता लगाया जा सकता है। इसी तरह लंग कैंसर के मरीजों का इलाज करना अब संभव हो गया है। किसी जमाने में इसे लाइलाज माना जाता था। फेफड़ा प्रत्यारोपण इसका अंतिम विकल्प होता है। दक्षिण के मुकाबले उत्तर क्षेत्र में कम प्रत्यारोपण की वजह उन्होंने अंगदान न होना बताया।
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गंभीर नहीं है कोविड का नया वैरिएंट, पर सतर्क रहें
प्रो. गुलेरिया ने कहा कि हाल के दिनों में कोविड-19 के नए वैरिएंट के रोगी मिले हैं। भारत में भी इसका एक नया मरीज मिला है, लेकिन अच्छी बात यह है कि इनमें से कोई मरीज गंभीर हालत में नहीं है। यह ओमिक्रॉन वैरिएंट का ही म्युटेशन है।
फेफड़े की बीमारी से कुल मौत में 30 फीसदी अकेले भारत में
डॉ. बीपी सिंह ने बताया कि वैश्विक स्तर पर सभी क्रोनिक फेफड़ों की बीमारी के मामलों में से 15.69 फीसदी अकेले भारत में हैं। इससे होने कुल मौतों में से 30.25 फीसदी हिस्सा भारत का है। भारत के कुछ वर्षों में ही रेस्पिरेटरी जनित बीमारियों में विश्व में नंबर एक पर आने का अनुमान है। तंबाकू के साथ ही प्रदूषण भी इसकी बड़ी वजह है। इस मौके पर मुंबई से. डॉ. अमिता नेने, कोलकाता डॉ. राजा धर मौजूद रहे।