
सांकेतिक तस्वीर।
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राजधानी लखनऊ की टीले वाली मस्जिद में पूजा-पाठ करने की मांग वाली याचिका खारिज करने की मांग ही खारिज हो गई है। एडीजे नरेंद्र कुमार ने निचली अदालत के आदेश में हस्तक्षेप से इन्कार करते हुए उसके आदेश को सही माना है। ऐसे में यह मुकदमा निचली अदालत में चलता रहेगा।
मामले के वादी नृपेंद्र पांडेय ने सिविल जज की कोर्ट में एक वाद दायर किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि औरंगजेब के कार्यकाल में हिंदू धार्मिक स्थान के रूप में स्थापित लक्ष्मण टीला को ध्वस्त कर दिया गया था और वहां मस्जिद बना दी गई थी। कहा था मंदिर के स्थान को नष्ट कर दिया गया था, लेकिन मस्जिद के दीवार के बाहर शेष नागेश पाताल कूप और शेष नागेश टीलेश्वर महादेव और अन्य मंदिर मौजूद हैं। यहां हिंदू धर्म को मानने वाले लोग पूजा करते हैं।
आगे कहा गया कि जून 2022 में बड़े मंगल के अवसर पर वादी समेत अन्य ने लक्ष्मण टीला पर पूजा व हनुमान चालीसा पढ़ना चाहते थे। पर मस्जिद के पेश इमाम मौलाना अब्दुल मन्नान ने कहा कि वह वक्फ की संपत्ति है और किसी हिंदू ने टीले वाली मस्जिद के आसपास भी पूजा की तो वे इसका विरोध करेंगे। इस वाद के दाखिल होने के बाद मौलाना मन्नान की ओर वाद को नामंजूर करने की अर्जी दी गई थी।
कहा गया था हिंदू पक्ष ने अपना वाद दाखिल करने का कारण नहीं बताया, लिहाजा उसे खारिज कर दिया जाए पर सिविल जज पीयूष भारतीय ने 6 सितंबर, 2023 को मौलाना मन्नान की अर्जी खारिज कर दी। निचली कोर्ट के इसी आदेश को मौलाना ने निगरानी दाखिल करके चुनौती दी थी जिसे एडीजे कोर्ट ने खारिज कर दी।