उरई। नगर पालिका में टेंडर निरस्त होने के बाद शुरू हुआ विवाद अब तूल पकड़ता जा रहा है। मामले में विधायक गौरी शंकर वर्मा ने कहा कि जबतक कार्रवाई नहीं होगी, वह लगातार शिकायत करते रहेंगे और इस प्रकरण को शांत नहीं होने देंगे। उनका आरोप है कि पालिका में शासन की मंशा के विपरीत काम हो रहे हैं। जब पालिकाध्यक्ष को कमीशन नहीं मिलता तो टेंडर बिना वजह रद्द कर दिए जाते हैं।

जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय ने मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं, जिसकी जिम्मेदारी एसडीएम नेहा ब्याडवाल को सौंपी है। एसडीएम ने जांच शुरू कर बुधवार को कई बिंदुओं पर तथ्य जुटाए और गुरुवार को डीएम को रिपोर्ट सौंपने की बात कही है।

विधायक गौरी शंकर वर्मा ने पालिकाध्यक्ष गिरजा चौधरी और अधिशासी अधिकारी राम अचल कुरील पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि नगर पालिका में मनमर्जी से काम हो रहे हैं और उच्च अधिकारी भी इस पर ध्यान नहीं दे रहे। उनके अनुसार टेंडर की तिथि तीन बार बढ़ाई गई और आखिर में बिना ठोस कारण निरस्त कर दी गई।

कोटेशन के जरिये एक ही काम के कई प्रस्ताव तैयार कर कमीशन का खेल खेला जा रहा है। हाल ही में कोटेशन के कामों का करीब चार करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है जबकि कई करोड़ रुपये के बिल अभी बकाया है। कहा कि टेंडर न लगाकर कोटेशन पर खास ठेकेदारों से काम करवाए जाते हैं। बिना सूचना के कुछ दिन पहले एक करोड़ रुपये का ठेका पालिकाध्यक्ष के करीबी ठेकेदार को दिया गया। आरोप है कि एक बाबू, जिसकी तैनाती पहले रामपुरा में थी, जुगाड़ लगाकर उरई पालिका में आकर पूरे सिस्टम को नियंत्रित कर रहा है।

विधायक ने यह भी सवाल उठाया कि जब ईओ छुट्टी पर थे तब टेंडर किसने रद्द किए। उनका आरोप है कि ईओ के डिजिटल हस्ताक्षर (डोंगल) का उपयोग किसने किया, इसकी भी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि धांधली करने वाले अधिकारी बचना चाहते हैं, लेकिन वह हर स्तर पर इसकी शिकायत करेंगे।

डीएम के पत्र में जांच के अहम सवाल

जिलाधिकारी द्वारा एसडीएम को भेजे गए जांच पत्र में कई गंभीर बिंदु शामिल हैं। इसमें टेंडर निरस्त करने के लिए किस डोंगल का उपयोग हुआ और क्या उपयोगकर्ता अधिकृत था। जब ईओ 10-11 अगस्त को हाईकोर्ट में थे तो उनकी अनुपस्थिति में यह कार्रवाई किसके आदेश पर हुई। तिथि बढ़ाने के आवेदन के बावजूद समय न बढ़ाना और सीधे टेंडर निरस्त करना संदिग्ध क्यों है। डीएम ने 14 अगस्त तक पूरी रिपोर्ट मांगी है। एसडीएम नेहा ब्याडवाल का कहना है कि जांच सरकारी प्रक्रिया के तहत हो रही है और रिपोर्ट जल्द डीएम को सौंप दी जाएगी।

ईओ के सुर बदले

जांच के आदेश के बाद ईओ राम अचल कुरील का रवैया भी बदलता नजर आया। मंगलवार को उन्होंने सभासदों और अन्य लोगों से तीखे लहजे में बात की थी लेकिन बुधवार को सामंजस्य बनाने की बात करने लगे। सूत्र बताते हैं कि मंगलवार रात देर तक उन्होंने घर पर बैठकर कागजात ठीक कराए। ईओ अब अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से संपर्क कर अपना पक्ष मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। नगर पालिका के इस विवाद ने शहर की राजनीति में हलचल मचा दी है। विधायक, सभासद और ठेकेदारों के आरोपों के बीच डीएम की जांच रिपोर्ट अहम साबित होगी।

एक करोड़ रुपये से ज्यादा के ऑफलाइन टेंडर खोले

विवाद और शिकायतों के बीच बुधवार को करीब एक करोड़ रुपये से अधिक के ऑफलाइन टेंडर खोले गए। ये 13 कार्यों से संबंधित थे। ये लंबे समय से अटके पड़े थे। सूत्रों का कहना है कि इन कार्यों को भी पहले मैनेज करने की योजना थी लेकिन दबाव के चलते प्रक्रिया पूरी करनी पड़ी। अनुमान है कि इनसे पालिका को 12 से 15 लाख रुपये राजस्व का लाभ होगा। विधायक और सभासद इसे अपनी जीत मान रहे हैं।

मामला कैसे गरमाया

फरवरी 2025 की कार्ययोजना के तहत 25 जुलाई को टेंडर जारी हुए थे। पहले तिथि छह अगस्त तक बढ़ी, फिर 11 अगस्त तक। आरोप है कि निजी स्वार्थ पूरे न होने पर तिथि और बढ़ाने की योजना थी, जिससे विकास कार्य ठप पड़े। 28 जुलाई को ऑफलाइन टेंडर भी जारी हुए थे, जिन्हें 10 अगस्त तक नहीं खोला गया। ठेकेदारों ने 15 वें वित्त और दो प्रतिशत श्रेणी के टेंडरों की तिथि बढ़ाने की मांग के साथ 10-11 अगस्त को ज्ञापन सौंपा लेकिन 11 अगस्त को ही टेंडर निरस्त कर दिए गए। इस पर विधायक ने डीएम को लिखित शिकायत भेजी, जिसमें अनियमितताओं और निजी लाभ के आरोप लगाए गए। मंगलवार को भाजपा के चार सभासद विपिन, ज्योति, आरती पुष्पेंद्र और पुष्पा देवी ने प्रमुख सचिव को शिकायत पत्र सौंपा। आरोप लगाया कि 29 जनवरी 2025 को स्वीकृत कार्य योजना के तहत नौ अप्रैल 2025 को निकाले गए टेंडरों में सिर्फ 13 कार्य रद्द किए गए जबकि शासनादेश के अनुसार सभी कार्य निरस्त होने चाहिए थे।

वर्जन-

पहले टेंडर इसलिए कैंसल हुए कि ठेकेदारों के पास बजट नहीं था। क्योंकि उन्होंने नगर क्षेत्र में विकास तो कराए लेकिन पालिका में बजट न होने के चलते उनका भुगतान नहीं हो पाया था। वहीं, अभी तकनीकी समस्याओं को लेकर टेंडर कैंसल हुए। विधायक अपनी विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में पहले जाकर हालत देखें, वहां की सड़कें बनवाएं।

– गिरजा चौधरी, पालिकाध्यक्ष



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