हाथरस के सहपऊ गांव नगला मनी की गलियों में सन्नाटा है, चौक-चौराहों व पेड़ के नीचे बैठे ग्रामीणों में बलिदानी सुभाष की ही चर्चा हो रही थी। ये उसके साहस और शौर्य को याद कर रहे थे तो परिवार को लेकर भी चिंतित थे।
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हाथरस के सहपऊ गांव नगला मनी की गलियों में सन्नाटा है, चौक-चौराहों व पेड़ के नीचे बैठे ग्रामीणों में बलिदानी सुभाष की ही चर्चा हो रही थी। ये उसके साहस और शौर्य को याद कर रहे थे तो परिवार को लेकर भी चिंतित थे।
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