जैश-ए-मोहम्मद के फरीदाबाद माड्यूल और गुजरात के अल-कायदा इंडियन सबकांटिनेंट के निशाने पर दिल्ली और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय थे। उनका मकसद धार्मिक स्थलों को भी निशाना बनाना था, ताकि बड़े पैमाने पर दहशत फैलाई जा सके और लोगों का चुनी हुई सरकार पर से भरोसा उठ जाए। 

इन दोनों माड्यूल पर खुफिया एजेंसियां बीते छह माह से नजर रख रही थीं। गुजरात पुलिस ने एक्यूआईएस माड्यूल को दबोच लिया, लेकिन सहारनपुर से डॉ. आदिल की गिरफ्तारी के बाद फरीदाबाद माड्यूल के बाकी सदस्य सतर्क हो गए और सुबूतों को मिटाना शुरू कर दिया। 

जांच अधिकारियों की मानें तो दिल्ली में बड़े पैमाने पर तबाही मचाने के लिए फरीदाबाद और सहारनपुर को चुना गया था। दोनों शहरों के दिल्ली से नजदीक होने के साथ उन पर किसी को शक भी नहीं होता। साथ ही, अमोनियम नाइट्रेट और फर्टिलाइजर भी आसानी से जुटाया जा सकता था। 

डॉ. शाहीन को इस नेटवर्क में स्थानीय लोगों को शामिल कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जिसके बाद उसने अपने भाई डॉ. परवेज को बरगलाया और सहारनपुर में पैठ जमाने को कहा। अधिकारियों को शक है कि डॉ. शाहीन और डॉ परवेज ने सहारनपुर में कई लोगों को साथ जोड़ा था, जिनसे सही मौका आने पर काम लिया जाना था। उनके मोबाइल में ऐसे संपर्क भी मिले हैं, जो सहारनपुर व आसपास के जिलों के हैं।

कानपुर आई थी डॉ. शाहीन : सूत्रों की मानें तो बीते अगस्त माह में डॉ. शाहीन कानपुर आई थी। हालांकि उस दौरान वह किन लोगों से मिली, इसके बारे में वह जानकारी नहीं दे रही है। एटीएस और जम्मू-कश्मीर पुलिस उसके आने का रूट मैप पता करने में जुटी हैं। यह आशंका भी जताई जा रही है कि वह डॉ. परवेज की कार से सहारनपुर से कानपुर आई थी। 



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