कहानी है जिनको समंदर निगल गया।                                 59 साल पहले का वो हादसा… जब समंदर में समा गई थी पूरी ट्रेन, मिट गया था स्टेशन का नामोनिशान, रोंगटे खड़े कर देगी ये कहानी

59 साल पहले दिसंबर 1964 के दिन ट्रेन नंबर- 653 तमिलनाडु के पंबन रेलवे स्टेशन से धनुषकोडी की तरफ निकली थी, लेकिन बीच में ही यह ट्रेन चक्रवाती तूफान की चपेट में आकर समंदर में समा गई. इस ट्रेन हादसे में 200 लोगों की मौत हो गई थी. जानिए उस भीषण हादसे की पूरी कहानी.वो 15 दिसंबर 1964 का दिन था. मौसम विभाग ने साउथ अंडमान में बन रहे एक भयंकर तूफान की चेतावनी दी थी. इसके बाद अचानक मौसम ने करवट ली और तेज तूफान के साथ झमाझम बारिश होनी शुरू हो गई. 21 दिसंबर तक मौसम ने विकराल रूप ले लिया. इसके बाद, 22 दिसंबर 1964 को श्रीलंका से चक्रवाती तूफान ने करीब 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भारत की ओर रुख किया.इस दौरान तूफान तमिलनाडु के ‘पंबन आईलैंड’ से टकराने के बाद वेस्ट नॉर्थ वेस्ट की ओर 280 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ने लगा. तूफान की रफ्तार इतनी ज्यादा थी कि लोगों के बीच हाहाकार मच गया. इसी बीच 22 दिसंबर 1964 का दिन आ गया. शाम के करीब 6 बज रहे थे

चक्रवाती तूफान ने मचा दी थी तबाही।                                 तमिलनाडु के पंबन आईलैंड के ‘धनुषकोडी रेलवे स्टेशन’ पर हर रोज की तरह हलचल थी. स्टेशन मास्टर आर. सुंदरराज तूफान और बारिश के बीच अपनी ड्यूटी खत्म करके घर लौट चुके थे.
रात करीब 9 बजे पंबन से धनुषकोडी तक चलने वाली ‘पैसेंजर ट्रेन- 653’ 100 यात्रियों को लेकर ‘धनुषकोडी रेलवे स्टेशन’ की तरफ निकली. फिर 11 बजकर 55 मिनट पर यह ट्रेन धनुषकोडी रेलवे पहुंचने ही वाली थी कि तभी चक्रवाती तूफान और तेज हो गया.                                                                           सिग्नल नहीं मिला, फिर भी लोको पायलट ने लिया रिस्क

तेज बारिश और तूफान के कारण सिग्नल में खराबी आ गई थी. इसके बाद लोको पायलट ने ट्रेन धनुषकोडी स्टेशन से कुछ दूरी पर रोक दी. काफी देर तक इंतजार करने के बाद जब लोको पायलट को कोई सिग्नल नहीं मिला तो उन्होंने रिस्क लेते हुए तूफान के बीच ही ट्रेन आगे बढ़ा दी.200 लोगों की हुई थी इस रेल हादसे में मौत
ट्रेन समंदर के ऊपर बने ‘पंबन ब्रिज’ से धीरे-धीरे गुजर रही थी. इसी के साथ समंदर की लहरें भी और तेज होने लगीं. अचानक लहरें इतनी तेज हो गईं कि 6 डिब्बों की इस ट्रेन में सवार 100 यात्रियों और 5 रेलवे कर्मचारियों समेत कुल 105 लोग समंदर की गहराई में समा गए

बताया जाता है कि ट्रेन में 200 यात्री सवार थे, क्योंकि कई लोग बिना टिकट के यात्रा कर रहे थे. सभी यात्री इस ट्रेन हादसे में मारे गए थे. कहा जाता है कि यह चक्रवाती तूफान भारत में आए अब तक के सबसे खतरनाक तूफानों में से एक था.तूफान की तबाही ने मिटा दिया था स्टेशन का नामो-निशान

इस तूफान की तबाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ‘धनुषकोडी रेलवे स्टेशन’ का नामो निशान ही मिट गया था. इस चक्रवाती तूफान के चलते 1,500 से 2,000 लोगों की जान गई थी. केवल धनुषकोडी में ही 1000 से अधिक लोग मारे गए थे.

By Parvat Singh Badal (Bureau Chief) Jalaun✍️

A2Z NEWS UP Parvat singh badal (Bureau Chief) Jalaun ✍🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *